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फिर से खेत-खलिहान न बन जाए ग्रे. नोएडा

Last Updated- December 07, 2022 | 10:07 PM IST

¬औद्योगिक इकाइयों के कारण भारत ही नहीं विश्व के मानचित्र पर स्थान पाने वाला ग्रेटर नोएडा एक बार फिर से खेत-खलिहान न बन जाए।
कानून-व्यवस्था के लिए पहले से ही बदहाली के शिकार ग्रेटर नोएडा में पिछले दो दिनों से इस बात की आशंका सबको सता रही है।

पहले से मौजूद औद्योगिक इकाइयां कही और जाने की सोच रही है तो बडे स्तर की नयी औद्योगिक इकाइयां ग्रेजियानो ट्रांसमिशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ की हत्या के बाद यहां आने से पहले ही वापसी का रास्ता अख्तियार कर चुकी हैं।

बुधवार को इस संदर्भ में ग्रेटर नोएडा की 150 बड़ी औद्योगिक इकाइयों ने न्यू हॉलैंड नामक कंपनी के परिसर में  बैठक भी की।

हालांकि उत्तर प्रदेश प्रशासन इन उद्यमियों को मनाने के लिए सिर्फ औद्योगिक इकाइयों के वास्ते एक सर्किल अफसर तैनात करने का ऐलान कर दिया।

साथ ही बुधवार की शाम जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा उद्यमियों को इस बात का भी आश्वासन दिया गया कि सीईओ की हत्या की तफ्तीश की पूरी रिपोर्ट आगामी 30 तारीख को एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीज के सामने पेश की जाएगी।

सताने लगा डर

बुधवार को डीएम एवं एसएसपी के साथ हुई बैठक में एक कोरियन कंपनी के मानव संसाधन अधिकारी ने कहा कि उन्हें तुरंत पर्याप्त सुरक्षा दी जाए क्योंकि उनके यहां भी श्रमिकों के साथ विवाद चल रहा है। यह कंपनी ग्रेजियानों के पीछे ही स्थित है।

श्रमिक एवं प्रबंधन के बीच मारपीट की घटना इससे पहले देवू, एशियन पेंट्स, एलजी जैसी कंपनियों में हुई।

मुंह मोड़ लिया

एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य घिल्डियाल कहते हैं, ‘पिछले दो दिनों के दौरान ग्रेटर नोएडा में इकाई लगाने को इच्छुक दस बड़ी विदेशी कंपनियों के फोन आए। इस घटना ने पूरे उद्योग जगत को हिला कर रख दिया है।’

कानून व्यवस्था की बदइंतजामी के कारण अभी हाल ही में एक अमेरिकी एमनसी कंपनी ग्रेटर नोएडा को छोड़ पुणे चली गयी। विप्रो ने अब तक यहां निर्माण का काम शुरू नहीं किया है। वह भी जाने का मन बना रही है।

जो कंपनियां पहले से हैं, उन्होंने भी अपनी नयी इकाई की स्थापना ग्रेटर नोएडा में नहीं की। होंडा सीएल राजस्थान चली गई। जापानी कंपनी डेंसो की नयी इकाई गुड़गांव में लगायी गयी तो एलजी ने उत्तराखंड की राह पकड़ी।

कौन आएगा यहां

घिल्डियाल कहते हैं, ‘ग्रेटर नोएडा फेज-3 में एक भी बड़ी कंपनी नहीं आ रही है। पिछले दो सालों से किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी ने यहां अपनी इकाई नहीं लगायी है।

‘ स्थानीय लोगों का कहना है कि 85,000 हेक्टेयर जमीन पर ग्रेटर नोएडा विस्तार को बसाने की योजना है और इसके लिए भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया गया है, लेकिन ऐसी व्यवस्था में यहां कौन आएगा।  किसानों के अरमान पर पानी फिर जाएंगे। सबसे बड़ी बात कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का वजूद ही खतरे में पड़ जाएगा।   

First Published - September 24, 2008 | 11:05 PM IST

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