केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार औपचारिक बैंकिंग क्षेत्र की पहुंच के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा सरकार बैंकिंग प्रणाली को मजबूत और स्थिर करने के लिए निर्णायक कदम उठाना जारी रखेगी, ताकि 2047 तक विकसित भारत के विकास पथ पर बैंकों का सहयोग सुनिश्चित हो सके।
सीतारमण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट किए। उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने अन्त्योदय के सिद्धांत के अनुरूप बैंक रहित लोगों को बैंकिंग सुविधा से जोड़ा है और वित्त तक पहुंच न होने वाले लोगों को धन मुहैया कराया है। हम वित्तीय समावेशन और वंचित लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बैंकिंग क्षेत्र में किए गए ‘समुद्र मंथन’ से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, साथ ही इस ‘मंथन’ के दौरान अपेक्षित चुनौतियां भी सामने आई हैं।
सीतारमण ने कहा कि विभिन्न सुधारों और बेहतर प्रशासन से बैंकिंग क्षेत्र का कायापलट हुआ है। इसके दम पर बैंकों ने 2014 से 2023 के बीच 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक फंसे कर्ज की वसूली की है।
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने करीब 1,105 बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच की है, जिसके परिणामस्वरूप 64,920 करोड़ रुपये की अपराध आय जब्त की गई है। दिसंबर 2023 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को 15,183 करोड़ रुपये की संपत्ति वापस कर दी गई है।
सीतारमण ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘हाल ही में, भारत के बैंकिंग क्षेत्र ने तीन लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करते हुए अपना अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ दर्ज करके एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्त्व के दम पर बैंकिंग क्षेत्र का कायापलट हुआ। हमारी सरकार ने व्यापक तथा दीर्घकालिक सुधारों के जरिए बैंकिंग क्षेत्र में संप्रग के पापों का प्रायश्चित किया।’
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने फंसे कर्ज (खासकर बड़े डिफॉल्टर से) की वसूली में कोई ढील नहीं बरती और यह प्रक्रिया जारी है। मंत्री ने कहा, ‘यह दुख की बात है कि विपक्षी नेता अब भी राइट-ऑफ और माफी के बीच अंतर नहीं कर पा रहे हैं। आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार राइट-ऑफ के बाद बैंक सक्रिय रूप से फंसे कर्ज की वसूली करते हैं। किसी भी उद्योगपति के ऋण को माफ नहीं किया गया है। 2014 से 2023 के बीच बैंकों ने फंसे कर्ज से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है।’
इस क्षेत्र के कुप्रबंधन के लिए कांग्रेस नीत संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) संकट के ‘बीज’ कांग्रेस नीत संप्रग काल में ‘फोन बैंकिंग’ के माध्यम से बोए गए थे, जब संप्रग नेताओं तथा पार्टी पदाधिकारियों के दबाव में अयोग्य व्यवसायों को ऋण दिए गए।’