इस्पात उद्योग की ओर से इस्पात की कीमतों को स्वेच्छा से घटाने के निर्णय पर सरकार खुश है और वह जल्द ही निर्यात शुल्क को वापस करने के मुददे पर विचार करेगी।
इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को बताया, ‘इस्पात उद्योग की 13 सूत्री मांग प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री कार्यालय को सौंप दी गई है। इनमें से एक मांग यह है कि कीमतों को नहीं बढ़ाने के उद्योग के वादों को ध्यान में रखते हुए निर्यात शुल्क को वापस लिया जाना चाहिए।’
मंत्री ने कहा कि उद्योग ने यह वादा भी किया है कि वह निर्यात को मौजूदा स्तर पर नियंत्रित रखेगी और सरकार स्थिति पर गंभीरता से नजर रख रही है। उन्होंने कहा ‘हम उद्योग की कार्रवाई से संतुष्ट हैं।’
हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि वित्तीय पेचीदगियों की वजह से निर्यात शुल्क को लेकर कोई आखिरी फैसला वित्त मंत्रालय ही उठाएगा। उल्लेखनीय है कि देश में इस्पात की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने हाल ही में विभिन्न इस्पात उत्पादों पर 15 फीसदी तक का निर्यात शुल्क लगा दिया था।
उद्योग ने सरकार के इस कदम पर विरोध जताया था। पासवान ने कहा कि अगर इस्पात कंपनियां इनपुट लागत में हुई वृध्दि के अनुपात में इस्पात का मूल्य बढ़ाती हैं, तो ऐसे में सरकार को इसमें कोई ऐतराज नहीं है। इस्पात सचिव आर एस पांडेय ने कहा, ‘यह संतोष की बात है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ने के बावजूद घरेलू इस्पात कंपनियों ने स्वयं कीमतें घटाने की पहल की है। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं और उचित समय पर निर्णय किया जाएगा।’
सचिव ने कहा कि इस वर्ष मार्च से मई के बीच इस्पात की कीमतों में 10 से 15 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है, भले ही इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें काफी चढ़ी हैं। संप्रग सरकार के चार वर्ष पूरे होने के मौके पर पासवान ने कहा कि इस्पात उत्पादन के मामले में वर्ष 2006 में भारत कच्चे इस्पात का उत्पादन करने वाला विश्व का पांचवा सबसे बड़ा देश बन गया।