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शुल्क से स्टील उद्योग को बचाने के लिए रणनीति बनाएगी सरकार

सरकार का अनुमान है कि स्टील का उत्पादन अगले पांच वर्षों में 12 करोड़ टन से बढ़कर 30 करोड़ टन हो जाएगा।

Last Updated- March 04, 2025 | 11:03 PM IST
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केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने मंगलवार को कहा कि सरकार भारत के स्टील उद्योग की रक्षा के लिए रणनीति तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि यह इस पर निर्भर होगी कि विकसित देश स्टील और उसके उत्पादों पर किस तरह का शुल्क लगाते हैं। कुमारस्वामी ने यह टिप्पणी अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कनाडा और मेक्सिको पर 25 फीसदी आयात शुल्क और चीनी आयात पर 10 प्रतिशत लेवी लगाए जाने के बाद की है। यह उपाय 4 मार्च से ही लागू होंगे। ट्रंप बार- बार भारत पर उच्च शुल्क वाले देश का ठप्पा लगाते रहे हैं और उन्हें भारत पर अभी फैसला करना है।

कुमारस्वामी ने ऑटोमेटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) के कार्यक्रम में कहा, ‘भारत विकसित देशों के स्टील और स्टील उत्पादों पर कोई भी शुल्क लगाए जाने के मामले में देखो और इंतजार करो की रणनीति अपनाएगा।’ मंत्री ने कहा, ‘अभी अमेरिका के शुल्क की मात्रा और सीमा के बारे में स्पष्टता नहीं है। इस पर हम व्यापार रणनीति बनाएंगे। लगाई जाने वाली लेवी के आधार पर कारोबार की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएंगे।’

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक व मुख्य कार्य अ​धिकारी अजय सहाय ने पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था, ‘चीनी वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क बढ़ाए जाने उत्पादन की लागत बढ़ेगी। इससे भारतीय उत्पादों को चीनी सामान की तुलना में कम शुल्क लगने से प्रतिस्पर्धा में फायदा मिल सकता है।’ हालांकि निर्यातकों में अनिश्चितता का जोखिम भी हो सकता है। इसका कारण यह है कि लगाए जाने वाले शुल्क का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। वाणिज्य विभाग के अधिकारीगण बीते एक महीने से सभी देशों या चुनिंदा देशों पर शुल्क लगाए जाने की स्थिति में अवसरों और चुनौतियों पर करीबी अध्ययन कर रहे हैं। इस क्रम में यह भी अध्ययन किया जा रहा है कि कैसे चुनिंदा क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं और इससे बचने के क्या उपाय हैं।

भारत ने अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध शुरू होने की स्थिति में तेजी से निर्यात बढ़ने वाले क्षेत्रों के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि, कपड़ा, वाहन कलपुर्जे और रसायन की पहचान की है। भारत सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। स्टील की मांग तेजी बढ़ते शहरीकरण, आधारभूत ढांचे और औद्योगिक वृद्धि के कारण बढ़ रही है। सरकार का अनुमान है कि स्टील का उत्पादन अगले पांच वर्षों में 12 करोड़ टन से बढ़कर 30 करोड़ टन हो जाएगा।

वैश्विक स्तर की परियोजनाओं पर नजर रखने वाले संगठन ग्लोबल एनर्जी मॉनीटर के मुताबिक अभी भारत में 12 फीसदी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन स्टील उत्पादन के दौरान होता है। उसके अनुमान के मुताबिक यदि सरकार की योजना के अनुरूप उत्पादन बढ़ाया जाता है तो ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन दोगुना होने की उम्मीद है।

First Published - March 4, 2025 | 10:57 PM IST

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