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सरकार करेगी वित्तीय मानकों की जांच

Last Updated- December 05, 2022 | 4:34 PM IST

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार महंगाई को रोकने के लिए सरकार वित्तीय मानकों को टटोल रही है। महंगाई दर में बढ़ोतरी सरकार के लिए बड़ा सवाल है। वे लोक सभा में एक सवाल का जवाब दे रहे थे।


चिदंबरम ने कहा, ‘महंगाई बढ़ रही है। यह किसी भी सरकार के लिए चिंता का सबसे बड़ा कारण होगा। अगर महंगाई बढ़ेगी तो हम सभी की चिंता इससे बढ़ेगी।’


 वह एक मार्च को समाप्त सप्ताह में महंगाई दर के 9 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच जाने के सवाल पर चिंता प्रकट कर रहे थे।


उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के आकड़ों पर राष्ट्रीय के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय कारकों का भी प्रभाव है।


उन्होंने उदाहरण देते हुए क हा कि कच्चे तेल की कीमतें, पाम आयल और चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। भारत इनका आयात करता है।


 यह भारत की मुद्रास्फीति पर प्रभाव डाल रहा है। मुद्रास्फीति पर गेहूं, चावल, खाद्य तेल और दालों के दामों में बढ़ोतरी का सीधा प्रभाव पड़ता है। हमारा देश इन चीजों में आत्मनिर्भर होकर खुद समस्या का समाधान कर लेगा।


 अंतरराष्ट्रीय हालत को देखें जो जिंसों की कीमतें उफान पर हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी हालत में मुद्रास्फीति पर काबू पाना आसान नहीं होता, क्योंकि लंबे समय से भारत इनका आयात कर रहा है।


उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ वित्तीय कदम उठाए हैं, जिससे इन तरह की वस्तुओं की कीमतों पर काबू पाया जा सके। इसके लिए आयात और उत्पाद शुल्क में कटौती की गई है। साथ ही खाद्य पदार्थों पर कोई कर नहीं लगता।


उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती का सीधा असर मुद्रास्फीति पर पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई पर काबू पाने के लिए इस तरह के कदम उठाएगा।


 उन्होंने कहा, ‘इस बात की संभावना है कि ब्याज दरों में कटौती की जाए। हमें विश्वास करना चाहिए कि रिजर्व बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगा।’


उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि विकास योजना और नेशनल फूड मिशन का प्रावधान किया है। इससे देश खाद्य जिंसों और जैसे चावल, दालों और गेहूं के मामले में आत्मनिर्भर हो सकेगा।


 इस कार्यक्रम के बाद चावल का उत्पादन आगामी 3 से 4 साल में बढ़कर 100 लाख टन, गेहूं का उत्पादन 80 लाख टन और दालों का 20 लाख टन होने का अनुमान है।


मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय कारकों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें 2004 के 37 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर अब 110 डॉलर प्रति बैरल हो गईं हैं।


पाम आयल की कीमत 2004 के 471 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर फरवरी 2008 में 1,117 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई है। थाईलैंड का चावल 225 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर अब 510 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गया है।


     

First Published - March 14, 2008 | 9:29 PM IST

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