केंद्र ने खानों को पट्टे पर लेने और समग्र लाइसेंस के बीच का समय तय करने का प्रस्ताव किया है। इससे देश में खनन की गतिविधियां बढ़ेंगी और खनन नीलामी की प्रक्रिया की अल्पकालिक खामियां दूर होंगी। सरकार ने इस प्रक्रिया सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए समयसीमा का प्रारूप तय कर दिया है और देरी करने पर इसमें बोली लगाने वाले के लिए दंड भी लगाया गया है।
खान मंत्रालय की 9 फरवरी की अधिसूचना के मुताबिक किसी भी प्रमुख कार्य की किसी भी गतिविधि के लिए निर्धारित समयसीमा पार करने पर दंड लगाया जाएगा। इस क्रम में बोली लगाने वाले के प्रदर्शन सुरक्षा जमाराशि से पैसे काटे जाएंगे। किसी भी प्रमुख कार्य और देरी की सीमा के आधार पर 2 से 5 प्रतिशत की कटौती होगी।
दरअसल प्रदर्शन सुरक्षा जमाराशि सफल बोली हासिल करने वालों की कार्य को पूरा करने की प्रतिबद्धता के रूप में वित्तीय आश्वासन होता है। सफलतापूर्वक बोली हासिल करने वाले को पट्टे की पूरी अवधि के दौरान प्रदर्शन सुरक्षा राशि को रखना होता है और अनुमानित संसाधनों के पुनर्मूल्यांकन के आधार पर हर पांच साल के बाद इस सुरक्षा राशि को संशोधित किया जाता है। यदि लाइसेंस धारक राज्य सरकार से अभिरुचि पत्र (एलओआई) हासिल होने के अधिकतम पांच वर्षों के दौरान उत्पादन पट्टे पर हस्ताक्षर नहीं करता है तो यह राशि जब्त भी की जा सकती है।
सरकार ने पिछले साल दिसंबर में प्रदर्शन सुरक्षा और उत्पादन पट्टे के अग्रिम भुगतान में से प्रत्येक के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि तय की थी। समग्र लाइसेंस रखने के लिए किसी व्यक्ति को केवल 50 करोड़ रुपये प्रदर्शन सुरक्षा राशि के रूप में जमा करने होंगे। हालांकि यदि समग्र लाइसेंस धारक उत्पादन पट्टे के लिए आवेदन करता है तो यह राशि संशोधित होकर 100 करोड़ रुपये हो जाएगी।
सरकार की योजना अपतटीय खनन के लिए प्रदर्शन सुरक्षा और अग्रिम भुगतान दोनों के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि तय करना है। इसके अलावा समग्र लाइसेंस के लिए प्रदर्शन सुरक्षा राशि 250 करोड़ रुपये तय की गई है और यदि समग्र लाइसेंस धारक खनन पट्टे के लिए आवेदन करता है तो इसे संशोधित कर 500 करोड़ रुपये किया जा सकता है।
अधिसूचना के मुताबिक अभिरुचि पत्र जारी होने के 33 महीने (दो साल नौ महीने) के भीतर खनन पट्टा हासिल करने का समय तय किया गया है। हालांकि समग्र लाइसेंस के लिए समयसीमा बढ़ाकर 81 महीने (छह साल नौ महीने) की गई है। इसमें देरी करने पर दंड लगाने का प्रावधान किया गया है। इसके पीछे उद्देश्य उत्तरदायित्व तय करना और खनन अधिग्रहण प्रक्रिया को समुचित रूप से पूरा करना है। इससे दोनों ही साझेदार लाभान्वित होंगे और इससे व्यापक रूप से खनन उद्योग को फायदा पहुंचेगा। इस क्रम में खनन में कम से कम बाधा होगी और खनन प्रक्रिया सुचारु रूप से होगी।