वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा बिकवाली पर चिंता को दूर करते हुए सोमवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे रही है। यही वजह है कि विदेशी निवेशक मुनाफा काटने के लिए शेयरों की बिकवाली कर रहे हैं।
इसके अलावा वित्त मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत निवेशक अनुकूल देश बनना चाहता है। यही वजह है कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में सीमा शुल्क को कम करने सहित कई कदम उठाए हैं। सीतारमण ने कहा, ‘एफपीआई तब अपना निवेश निकालते हैं जब वे मुनाफावसूली करने में सक्षम होते हैं। आज भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐसा माहौल है कि निवेश पर अच्छा रिटर्न भी मिल रहा है और मुनाफावसूली भी हो रही है।’
पिछले साल अक्टूबर से अभी तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने करीब 2 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है और इसकी वजह से बाजार भी उच्चतम स्तर से नीचे आ गया है। 2025 के पहले 6 हफ्तों में एफपीआई ने 10 अरब डॉलर (97,000 करोड़ रुपये से अधिक) की बिकवाली की है।
कंपनियों की कमाई नरम रहने और अमेरिका की नीतियों में बदलाव के कारण बाजार में बिकवाली बढ़ी है। एफपीआई की भारी बिकवाली के कारण सेंसेक्स सितंबर के अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर से करीब 12 फीसदी टूट चुका है।
वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि विदेशी निवेशक अपनी स्थिति के अनुसार निवेश-बिकवाली करते रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह सही नहीं है कि एफपीआई एक उभरते बाजार से निवेश निकालकर दूसरे बाजार में लगा रहे हैं।
वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि जब भी वैश्विक अनिश्चितता होती है तो वे अपना निवेश अपने देश (अमेरिका) में ले जाते हैं। लचीलेपन के लिहाज से भारतीय बाजार ने अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी है।’ उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बनी हुई है। पांडेय ने कहा, ‘वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ती रहेगी। हमें वैश्विक चुनौतियों मुकाबला करना होगा और ऐसा करने के लिए हम मजबूत स्थिति में हैं।’
अक्टूबर 2024 में चीन द्वारा सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्रोत्साहन उपायों की घोषण के बाद से एफपीआई की बिकवाली बढ़ी है। इसके बाद अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से उनकी नीतियों को लेकर वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने की चिंता बढ़ गई है। हालात में बदलाव से उभरते बाजारों का आकर्षण कम हो गया और अमेरिकी ऋण प्रतिभूतियों की मांग बढ़ गई।
मुद्रास्फीति और शुल्क
ट्रंप ने आगाह करते हुए कहा कि अमेरिका भी उन देशों पर उसी मात्रा में शुल्क लगाएगा जितना वह अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। ट्रंप की टिप्पणी के अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की आशंका पर सीतारमण ने कहा, ‘पिछले दो वर्षों से भारत ने सीमा शुल्क को तर्कसंगत बनाने के लिए अनेक उपाय किए हैं तथा इस बजट में भी उपाय करना जारी रखा है। घरेलू उद्योग को बचाने के लिए लगाए जाने वाले सेफगार्ड और डंपिंग रोधी शुल्क की भी समय-समय पर समीक्षा की जाती है।’
सीतारमण ने कहा, ‘बजट में भारत ने सीमा शुल्क और इसे नियंत्रित करने वाली व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। हम निवेशक अनुकूल देश बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप शुल्क में कटौती करने और अन्य उपायों की घोषणा की जा रही है। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी।’
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। दोनों देशों के प्रमुखों ने अगले 7 से 8 महीनों के भीतर बातचीत शुरू करने और पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की है।
पांडेय ने कहा, ‘अमेरिका और भारत दोनों ने द्विपक्षीय व्यापार करार करने पर सहमति जताई है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए उठाए गए पारस्परिक उपायों को भी रेखांकित किया है।’
मुद्रास्फीति पर चर्चा करते हुए सीतारमण ने कहा, ‘मुद्रास्फीति एक निश्चित दायरे के भीतर रही है और अंतिम घोषित आंकड़ों से पता चलता है कि यह 4 फीसदी के करीब आ गई है।’