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मंदी के सूखे में कर्ज की गंगा

Last Updated- December 08, 2022 | 12:48 AM IST

रिजर्व बैंक ने होम, उपभोक्ता, कॉरपोरेट, और पर्सनल लोन सस्ता करने का रास्ता साफ कर दिया है।


जिसके तहत रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात में 2.5 फीसदी कटौती और कर्जमाफी की पहली किस्त बैंकों को मुहैया कर बैंकिंग तंत्र में 1,45,000 करोड़ रुपये का प्रवाह करने के बाद इस राह पर अपने कदम अग्रसर किए हैं।

वित्तीय संकट के निपटने और बाजार में तरलता बढ़ाने के मकसद से रिजर्व बैंक ने सोमवार को रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती करने की घोषणा की है। नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं। रेपो दर में कटौती के बाद यह घटकर 8 फीसदी पर आ गई है।

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक की ओर से वर्ष 2004 के बाद पहली बार रेपो दर में कटौती की गई है। केंद्रीय बैंक के इस कदम से बैंकों को अब रिजर्व बैंक से अल्पावधि के कर्ज जुटाने में आसानी होगी। रिजर्व बैंक की ओर रेपो दर में कटौती का फैसला मौद्रिक नीति की मध्यावधि समीक्षा के चार दिन पहले आया है।

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बताया कि इस कदम से निवेशक अपने निवेश प्रस्ताव आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित होंगे। एक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह स्वागत योग्य कदम है। इससे महंगी ब्याज दरों में कमी का दौर शुरू होगा।

 जानकारों का कहना है कि नकद आरक्षित अनुपात में कटौती से ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर रुक गया, वहीं रेपो दर में कटौती से जमा और कर्ज की ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। वैश्विक वित्तीय स्थिति पर अनिश्चितता के मंडराते बादल के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने कहा कि विदेश में नियामकों द्वारा कदम उठाने के बाद भी वित्तीय बाजारों में विश्वास कायम नहीं हो पाया है।

बैंकरों ने रिजर्व बैंक के इस कदम पर खुशी जताई और कहा कि इससे ब्याज दरों में कमी हो सकती है, लेकिन यह जमाओं की लागत पर निर्भर करेगा। इससे विकास दर की रफ्तार में भी तेजी आएगी।

रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती की घोषणा
रेपो दर 9 फीसदी से घटकर 8 फीसदी हुई
नई दरें तत्काल प्रभाव से हुईं लागू
2004 के बाद पहली बार रेपो रेट में की गई कटौती

बॉन्ड नीलामी योजना रद्द

रेपो रेट में एक फीसदी की कटौती के बाद रिजर्व बैंक ने सोमवार को 100 अरब रुपये (करीब 2 अरब डॉलर) के बॉन्ड नीलामी को रद्द कर दिया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि अब बॉन्ड नीलामी की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू की जाएगी, जिसकी तिथि बाद में घोषित की जाएगी।

रेपो नीलामी में कोई नहीं आया

केंद्रीय बैंक को दैनिक रेपो नीलामी के तहत कोई बोली नहीं मिली। इसे पूंजी प्रणाली में तरलता के सुधार के रूप में देखा जा रहा है। एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में कहा कि यह बैंकिंग प्रणाली में बढ़ती नकदी का संकेत हो सकता है। रिजर्व बैंक सीआरआर में पहले ही कटौती कर चुका है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों को चेताया

विदेशी इकाइयों को विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयर उधार देने या लेने को अमान्य करार देते हुए बाजार नियामक सेबी ने ऐसी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए आगाह किया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की इन गतिविधियों की निगरानी की जा रही है।

क्या होगा इससे फायदा?

बैंकों को 8 फीसदी की दर पर रिजर्व बैंक से कर्ज मिल सकेगा
बाजार में तरलता बढ़ेगी बैंकों की ओर से होम, कॉरपोरेट, पर्सनल लोन समेत अन्य ऋण सस्ते हो सकते हैं


क्या है रेपो रेट?

इस दर पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से अल्पकालिक ऋण लेते हैं।

क्या थी कटौती की मजबूरी?

बाजार में तरलता घटने से बैंकों के पास ऋण देने के लिए नकदी की किल्लत हो रही थी, जिससे विकास दर के मंद पड़ने की आशंका थी। ऐसे में बैंकों को कम ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण मुहैया कराने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा उठाया गया है यह कदम।

मनमोहन ने माना, फर्क तो पड़ता है…

वित्तीय तूफान ने प्रणाली के विश्वास को हिला दिया है और शेयर बाजार में तेज गिरावट के साथ यह सामने आया है। इसने आर्थिक गतिविधियों में तेज मंदी पैदा की है, जिसमें औद्योगिक देशों में दीर्घकालिक मंदी की आशंका है।


फिलहाल तो मंदी के ठीक-ठीक प्रभावों का अनुमान लगा पाना मुश्किल है क्योंकि वैश्विक मंदी की गहराई और उसकी अवधि अनिश्चित है। इसलिए हमें भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्थायी मंदी के लिए तैयारी रखनी चाहिए। लेकिन हमारे बैंक.. सार्वजनिक और निजी, दोनों वित्तीय तौर पर मजबूत हैं।


उनमें पर्याप्त पूंजी है। बैंक के नाकाम होने का कोई भय नहीं होना चाहिए। मैं हमारे बैंकों में जमा करने वालों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनकी जमा राशि पूरी तरह से सुरक्षित है।
(लोकसभा में वैश्विक मंदी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान)

भारत पर भी वित्तीय संकट की आंच महसूस की जा रही है, लेकिन इसका व्यापक असर नहीं पड़ेगा। हमारी बैंकिंग प्रणाली काफी मजबूत है। बैंकरों के पास पर्याप्त पूंजी है और उनका नियमन भी बढ़िया ढंग से हो रहा है। वैश्विक मंदी के बावजूद 8 फीसदी की विकास दर को हासिल किया जाएगा। रेपो दर में कमी का लाभ सभी वर्गों को मिलेगा। इस कदम से निवेशक अपनी निवेश योजना आगे बढ़ा सकेंगे।

(रेपो दर में कटौती पर वित्त मंत्री, पी. चिदंबरम की प्रतिक्रिया)

ड्रैगन भी फंसा मंदी के जाल में

वैश्विक वित्तीय संकट का असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है। दूसरी तिमाही में चीन की आर्थिक विकास दर नौ प्रतिशत रही।

यह पहली बार है जब चीन की आर्थिक विकास दर एकल अंक में रही है। अधिकारियों ने इसके लिए वैश्विक वित्तीय संकट को जिम्मेदार ठहराया है। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स के प्रवक्ता ली शियाओचाओ ने कहा- वैश्विक आर्थिक विकास में काफी कमी आई है। उक्त नकारात्मक कारकों का असर चीन की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है।

First Published - October 20, 2008 | 11:03 PM IST

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