अर्थव्यवस्था

G20: गरीबों की समस्या से वैश्विक जोखिम, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- विकसित देश रखें ध्यान

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए भारत ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया है

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- August 27, 2023 | 10:30 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि विकसित देशों को ध्यान रखने की जरूरत है कि वैश्वीकरण दोधारी तलवार है और अगर विकासशील देशों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो इसका वैश्विक असर होगा।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित बी-20 सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने भारत और जी-20 देशों के कारोबारी दिग्गजों से कहा कि पोषण, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा के असर पर विचार किया जाना चाहिए, जिसकी वजह से विकासशील देशों में समाज टूट रहा है और इसका असर शेष दुनिया पर भी पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘विकासशील देशों पर मौजूदा ध्यान इस विश्वास से जाता है कि ये ऐसे देश हैं, जिन पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। लेकिन साथ ही ये ऐसा समाज है, जहां बहुत ज्यादा तनाव है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी।

याद रखें कि वैश्वीकरण दोनों तरफ से काटता है।’अंतरराष्ट्रीय मामलों में वैश्विक दक्षिण (विकासशील देश) शब्द का इस्तेमाल उन देशों के लिए किया जाता है, जहां कम आमदनी, घनी आबादी, खराब बुनियादी ढांचा है और वे ज्यादातर सांस्कृतिक व राजनीतिक रूप से हाशिये पर रहते हैं। जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में वैश्विक उत्तर के देशों का दबदबा बना हुआ है, जहां की आबादी कुल वैश्विक आबादी की महज एक चौथाई है।

उन्होंने कहा, ‘संभवतः यह तब कम मायने रखता है, जब वैश्वीकरण की प्रक्रिया अधिक अवसर प्रदान करती दिखती है। लेकिन जैसे जैसे इसकी असमानताएं अधिक साफ होती गई हैं, विकासशील देशों पर ध्यान केंद्रित करने आवश्यकता अधिक हो गई है।’ इसके अलावा यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के परिणामों ने वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक की सुरक्षा को लेकर जटिलताएं बढ़ा दी हैं। इस कार्यक्रम में विभिन्न सेक्टर और देशों के प्रमुख लोग शामिल थे। इस सत्र में समकालीन वैश्विक व्यवस्था में वैश्विक दक्षिण के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया। भारत ने पिछले साल जब जी-20 की अध्यक्षता संभाली तब वैश्विक दक्षिण का अधिकांश हिस्सा चर्चा से बाहर था और यही वजह है कि भारत ने जी-20 में अफ्रीकन यूनियन शामिल करने पर जोर दिया है।

ऐतिहासिक वजहों से वैश्विक दक्षिण खपत के केंद्र में बना हुआ है और बजट का बड़ा हिस्सा उसके पास है और वह आर्थिक विकास में सार्थक निवेश के अवसर छीन रहा है। कारोबार संबंधी विवाद, ज्यादा ब्याज दरें और जयवायु संबंधी बढ़ती गतिविधियों ने अतिरिक्त दबाव डाला है।

रणनीतिक स्वायत्तता

भारत ने नए सिरे से वैश्वीकरण की मांग की है, जो ज्यादा विविधता वाला और लोकतांत्रिक हो और उत्पादन के और ज्यादा केंद्र हों, न कि सिर्फ खपत के केंद्र हों। इसलिए भारत ज्यादा लचीले व विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि डिजिटल डोमेन में विश्वास और पारदर्शिता को लेकर चिंता बढ़ी है।

जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी और यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को बार बार झटका लगा है। इससे देशों के बीच कई विश्वसननीय मूल्य श्रृंखला बनाने की जरूरत को बल मिला है।

मंत्री ने कहा, ‘पिछले कुछ साल के दौरान आए उतार-चढ़ाव की वजह से हमें रणनीतिक स्वायत्तता के महत्त्व का पता चला है। हम ज्यादा समतामूलक और हिस्सेदारी वाली दुनिया बना सकते हैं। लेकिन आखिर में यह तभी हो सकता है, जब हम निवेश, व्यापार और तकनीक के फैसलों पर ध्यान केंद्रित करें।’

जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए भारत ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया है।

First Published : August 27, 2023 | 10:30 PM IST