किसी क्षेत्र में निवेश की सीमा के बराबर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए निवेश सीमा बढ़ाए जाने ने अहम वैश्विक इक्विटी सूचकांकों में देसी प्रतिभूतियों के भारांक में इजाफे के लिहाज से उत्प्रेरक का काम किया है। आर्थिक समीक्षा 2021-22 में ये बातें कही गई है।
1 अप्रैल, 2020 से केंद्र सरकार ने भारतीय कंपनियों में एफपीआई के निवेश की सीमा किसी क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा के बराबर कर दिया। इस कदम से वैश्विक सूचकांकों में भारत की तथाकथित विदेशी स्वामित्व की सीमा में इजाफा हुआ।
समीक्षा में कहा गया है कि एमएससीआई ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक साल 2020 के 8.3 फीसदी के मुकाबले दिसंबर 2021 में बढ़कर 12.45 फीसदी पर पहुंच गया। देश का भारांक अन्य सूचकांकों मसलन एमएससीआई एशिया पैसिफिक (जापान को छोड़कर), एमएससीआई वल्र्ड इंडेक्स और एफटीएसई की तरफ से संकलित सूचकांकों में भी बढ़ा।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, कई वैश्विक संस्थागत निवेशक एमएससीआई ईएम इंडेक्स और अन्य बाजारों व थीम को कवर करने वाले कई अन्य सूचकांकों को अपनी पैसिव निवेश रणनीति के तहत करते हैं और बेंचमार्क सूचकांकों के हिसाब से पूंजी का आवंटन करते हैं। एमएससीआई ईएम इंडेक्स मेंं भारत का भारांक इक्विटी बाजार में एफपीआई निवेश आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाता है।
समीक्षा में कहा गया है कि भारत के पूंजी बाजार में विदेशी निवेशकोंं की बढ़ती दिलचस्पी मजबूत एफपीआई निवेश में प्रतिबिंबित हुआ, जो 2020-21 में 2.74 लाख करोड़ रुपये रहा।
समीक्षा में देसी बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है, 2020-21 और 2021-22 में वैयक्तित निवेशकों की हिस्सेदारी में अहम बढ़ोतरी की आंशिक वजह फरवरी 2020 के बाद से नए निवेशकों के पंजीकरण मेंं हुआ इजाफा हो सकता है। अप्रैल-नवंबर 2021 में करीब 2.21 करोड़ वैयक्तिक डीमैट खाते जुड़े थे।
