महंगाई के बढ़ते दबाव के कारण मौद्रिक नीति को सख्त बनाना जरूरी हो गया है, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आसान उधारी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। फाइनैंशियल एक्सप्रेस मॉर्डन बीएफएसआई सम्मेलन में दास ने ये बातें कहीं।
दास ने नीतिगत कदमों का बचाव किया और कहा कि केंद्रीय बैंक अगर और पहले मुद्रास्फीति प्रबंधन पर ध्यान देने में लग जाता तो इसके परिणाम अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकते थे क्योंकि अर्थव्यवस्था कोविड महामारी से जूझ रही थी। दास ने कहा, ‘कल्पना कीजिए अगर हम पहले ही दरें बढ़ानी शुरू कर देते तो वृद्धि पर क्या असर पड़ता?’ उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने अतिसक्रियता से काम किया और मैं किसी अवधारणा या किसी व्याख्या से सहमत नहीं हूं कि रिजर्व बैंक वक्र के घुमाव के एक तरफ गिर गया।’
दास ने जोर दिया कि रिजर्व बैंक की कार्रवाई अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुकूल थी और कहा कि केंद्रीय बैंक ने अगस्त 2021 की शुरुआत में ही नकदी वापस लेने पर विचार शुरू कर दिया था, जब यह महसूस किया गया कि महंगाई बढ़ने की वजहें मौजूद हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर की यह प्रतिक्रिया हाल की आलोचनाओं के बाद आई है, जिसमें भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार सहित कुछ आलोचकों ने कहा था कि केंद्रीय बैंक ने महंगाई के जोखिम को लेकर बहुत देर के प्रतिक्रिया दी है।
इस सप्ताह की शुरुआत में इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख में कहा गया था कि रिजर्व बैंक महंगाई के वक्र के पीछे गिर गया है, जिसे सुब्रमण्यन के साथ मिलकर लिखा गया था। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मापी जाने वाली महंगाई दर मई में 7.04 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं उपभोक्ता मूल्य गेज अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर आ गया। खुदरा महंगाई 2022 के शुरुआती 5 महीने में हर महीने लगातार रिजर्व बैंक द्वारा तय 2 से 6 प्रतिशत की सीमा से ऊपर जा रही है।
जिंसों के वैश्विक दाम में तेजी, खासकर रूस यूक्रेन के बीच फरवरी में शुरू हुए युद्ध के बाद कच्चा तेल महंगा होने के कारण भारत में महंगाई दर ऊपर जाने का जोखिम है, जो अपनी जरूरतों का 80 प्रतिशत आयात करता है। युद्ध के कारण हुए आर्थिक हाहाकार का हवाला देते हुए दास ने कहा कि यह टकराव ‘पहले के किसी दिशानिर्देश या अग्रिम सूचना के बगैर हुआ है।’