वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऋण संकट से जूझ रहे देशों की मदद के लिए गंभीरता से संवाद करने की जरूरत है। वाशिंगटन में विश्व बैंक और आईएमएफ वार्षिक बैठक 2024 के अवसर पर ग्लोबल सॉवरिन ऋण गोलमेज सम्मेलन में उन्होंने कहा कि महत्त्वपूर्ण निवेशों से समझौता किए बिना ऋण के पुनर्भुगतान में देशों की मदद करने लिए गहन बातचीत करनी होगी।
सीतारमण ने आपातकालीन स्थिति में धन मुहैया कराने के साधनों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि इसकी वजह से देनदारियां स्थगित हो सकती हैं और इससे भविष्य में ऋण संबंधी चुनौतियां और बदतर हो सकती हैं। ग्लोबल सॉवरिन डेट राउंडटेबल (जीएसटीआर) सम्मेलन से कर्ज देने और लेने वाले देश एक साथ आए हैं। इसका मकसद विभिन्न पक्षों के बीच ऋण की सततता और ऋण के पुनर्गठन की चुनौतियों पर एक साझा समझ विकसित करना और इसके समाधान की राह निकालना है।
इस गोलमेज सम्मेलन की सह अध्यक्षता आईएमएफ, विश्व बैंक और जी20 के अध्यक्ष देश ब्राजील द्वारा की गई। इसमें द्विपक्षीय ऋणदाता, निजी ऋणदाता और उधार लेने वाले देश शामिल हुए। जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की चौथी बैठक में हिस्सा लेते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के सुधार का एजेंडा हाल के अध्यक्षों के कार्यकाल के दौरान जारी रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘इस समूह से बनी राजनीतिक गति एमडीबी को बड़े सुधार के लिए प्रेरित कर रही है।’ उन्होंने दिल्ली में आयोजित नेताओं के शिखर सम्मेलन में बनी सहमति को आगे बढ़ाने के लिए जी-20 के मौजूदा अध्यक्ष ब्राजील की सराहना की।
सीतारमण ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों से गंभीरता से निपटने और धन की जरूरतें पूरी करने में एमडीबी को सक्षम बनाने की राह निकालनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में इस एजेंडे पर आगे बढ़ा जाए।
वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते पर लिखा, ‘वित्त मंत्री ने कहा कि वह विश्व बैंक द्वारा भारत की जी-20 अध्यक्षता से एमडीबी सुधारों पर आईईजी की सिफारिशों को आगे बढ़ाने की प्रतीक्षा कर रही हैं। उन्होंने भविष्य में सिफारिशों के कार्यान्वयन की नियमित निगरानी का भी अनुरोध किया।’
जीएसडीआर बैठक में वित्त मंत्री ने सभी पक्षों के दृष्टिकोणों को बेहतर ढंग से समझने, चिंताओं का समाधान करने और इन साधनों के जोखिमों और लाभों के बारे में देशों को सूचित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए गोलमेज के अनौपचारिक मंच का लाभ उठाने का आह्वान किया।
वित्त मंत्री ने समयबद्धता, पारदर्शिता और पूर्वानुमान में सुधार करने तथा ऋणदाताओं के बीच तुलनात्मक व्यवहार सुनिश्चित करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कम लागत वाले, दीर्घकालिक वित्तपोषण और लक्षित तकनीकी सहायता सुनिश्चित करने के लिए समन्वित प्रयासों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, ताकि कमजोर देशों के प्रति लचीला रुख अपनाया जा सके और उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत की जा सके।
आपदा रोधी बुनियादी ढांचे पर गोलमेज चर्चा की अध्यक्षता करते हुए वित्त मंत्री ने विकास के लाभों के खतरों के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे पर जलवायु संबंधी जोखिम कम करने की जरूरत है। सीतारमण ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने मजबूत बुनियादी ढांचे में निवेश और राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय आपदा प्रबंधन एजेंसियों के निर्माण के माध्यम से संस्थागत क्षमता बनाई है और मजबूत आर्थिक विकास सुनिश्चित किया है।