भारत ने अमेरिका के 280 अरब डॉलर के ‘चिप फॉर अमेरिका’ कार्यक्रम पर आपत्ति उठाई है। भारत का दावा है कि इससे विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रावधानों का उल्लंघन होता है और इससे विनिर्माण की प्रतिस्पर्धा को नुकसान होगा।
अमेरिका की व्यापार नीति समीक्षा के दौरान हाल में नई दिल्ली ने यह सवाल उठाया और अमेरिका से CHIPS Act को लेकर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
भारत ने कहा, ‘यह (चिप एक्ट) वैश्विक प्रतिस्पर्धी विनिर्माताओं को लाभ की स्थिति से बाहर कर देगा। प्रस्तावित कदम उठाए जाने से खासकर विकासशील दुनिया के लोगों को इस क्षेत्र में एक समान काम करने की स्थिति नहीं रह जाएगी।’
इसे लेकर चीन ने भी आपत्ति जताई है। बीजिंग ने कहा, ‘चीन ने पाया है कि अमेरिका लगातार कई साल से विभिन्न मौकों पर अन्य सदस्यों की सब्सिडी नीतियों की आलोचना करता रहा है। यह साफ किया जाना चाहिए कि क्या अमेरिका का लंबे समय से चल रहा यह रुख बदल गया है।’ बहरहाल अमेरिका ने आरोपों का खंडन किया है।
इसके जवाब में अमेरिका ने कहा कि WTO समझौतों के तहत अमेरिकी प्रतिबद्धता और अमेरिका के कानून के मुताबिक वह काम कर रहा है।
उसने कहा, ‘अमेरिका इस सवाल की व्याख्या से असहमत है। अन्य WTO सदस्यों की तरह अमेरिका भी विश्व व्यापार संगठन के समझौते का पालन करते हुए व्यापार को समर्थन देता है। अमेरिका 2 उल्लिखित अधिनियमों के मामले में इस तरीके से प्रशासित करने को इच्छुक है, जो विश्व व्यापार समझौते के तहत हो और अमेरिका की प्रतिबद्धताओं के व कानूनों के अनुरूप हो।’