अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी (FDI) निवेश में कमी आई है। यह अप्रैल-नवंबर 2022 के 19.76 अरब डॉलर की तुलना में घटकर 13.54 अरब डॉलर रह गया है। वैश्विक प्रवाह में गिरावट और इक्विटी पूंजी वापस जाने के कारण ऐसा हुआ है। देश में जितना धन आता है, उसमें से बाहर किए गए निवेश को घटाने पर बची राशि को शुद्ध एफडीआई कहते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों (जनवरी 2024 का बुलेटिन) में कहा गया है कि अप्रैल से नवंबर 2023 के दौरान भारत में एफडीआई 21.39 अरब डॉलर और बहिर्प्रवाह (outflow) 7.85 अरब डॉलर था। साल 2022 में इसी अवधि के दौरान एफडीआई की आवक 29.11 अरब डॉलर और बहिर्प्रवाह 9.3 अरब डॉलर था।
रिजर्व बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 24 के 8 महीनों के दौरान भारत में प्रत्यक्ष निवेश करने वालों की धन निकासी/विनिवेश बढ़कर 25.58 अरब डॉलर हो गया, जो अप्रैल नवंबर 2022 के दौरान 19.87 अरब डॉलर था।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर जनवरी 2024 के रिजर्व बैंक के मासिक बुलेटिन के मुताबिक विनिर्माण, बिजली व अन्य ऊर्जा क्षेत्रों, ट्रांसपोर्ट, वित्तीय सेवाओं, खुदरा व थोक व्यापार की सकल आवक एफडीआई इक्विटी प्रवाह में हिस्सेदारी दो तिहाई रही है।
इक्विटी प्रवाह में ज्यादातर (69.9 प्रतिशत) हिस्सेदारी मॉरिशस की रही। इसके अलावा सिंगापुर, जापान, अमेरिका, नीदरलैंड्स से भी धन आया है।
एफडीआई इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन 10 देशों में शामिल है, जहां 2024 में निवेश की गति बेहतर रहने की संभावना है।
डेटा सेंटर की क्षमता में वृद्धि भारत के लिए लाभदायक है। इस साल क्षमता बढ़कर 1 गीगावॉट पार कर जाएगी और भारत वैश्विक डेटा केंद्र बनने की स्थिति में होगा। इसका प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सकारात्मक असर होगा, जो 2023-24 की दूसरी छमाही में ठीक होने लगा है और कारोबारी सेवाओं में प्रवाह बढ़ रहा है।