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बढ़ रहा चीन को विनिर्मित वस्तुओं का निर्यात

Last Updated- December 15, 2022 | 5:15 AM IST

चीन को निर्यात होने वाले विनिर्मित वस्तुओं की मात्रा 2019-20 में धीरे धीरे बढ़ी है, हालांकि भारत का निर्यात अभी भी कच्चे माल पर बहुत ज्यादा निर्भर है।
प्रमुख बाजारों में कच्चे माल और इनपुट वाले सामान की जगह विनिर्मित वस्तुओं पर जोर दिया जाना भारत की प्राथमिकता बनी हुई है, जो कीमतों में उतार चढ़ाव से प्रभावित है। वित्त वर्ष 20 के लिए वाणिज्य विभाग की ओर से जारी हाल के आंकड़ों के मुताबिक इसका मिला जुला परिणाम नजर आता है और भारत अभी भी चीन में प्रमुख रूप से कच्चे माल का निर्यात करने वाला देश बना हुआ है।
ऑर्गेनिक केमिकल्स और प्रसंस्कृत पेट्रोलियम के अलावा चीन को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख सामान में कच्चा माल बना हुआ है। हालांकि कच्चा प्लास्टिक और कपास जैसे परंपरागत निर्यात में कमी आ रही है। उल्लेखनीय है कि लौह अयस्क का निर्यात 95 करोड़ डॉलर से बढ़कर 230 करोड़ डॉलर हो गया है।
लेकिन इस दौरान भारत ने कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे मेडिकल उपकरण और इलेक्ट्रिक सामान पर जोर दिया है और इसका चीन को निर्यात बढ़ा है। वाणिज्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के बाद आए अचानक बदलाव से मशीनरी के निर्यात में थोड़ी गिरावट आई है, वहीं नियामकीय बाधाओं के माध्यम से चीन ने दवाओं का निर्यात सीमित कर रखा है।’
भारत के निर्यातकों की ओर से वाणिज्य विभाग के  पास ढेरों शिकायतें आई हैं, जिनमें कहा गया है कि चीन ने गैर शुल्क बाधाओं के माध्यम से भारत से होने वाले आयात को रोक रखा है। जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और वरिष्ठ कारोबारी नीति विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा, ‘चीन गैर शुल्क बाधाएं लगाकर बहुत प्रभावी तरीके से उन वस्तुओं के आयात रोक रहा है, जो वह आयात नहीं करना चाहता। वहीं दूसरी तरफ वह इन प्रतिबंधों का इस्तेमाल द्विपक्षीय संबंधों को नियंत्रण में रखने के राजनीतिक हथियार के रूप में भी करता है।’ कॉन्फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 से चीन का निर्यात मूल्यवर्धन की ओर बढ़ा है। चीन से उच्च तकनीक वाले सामान जैसे दूरसंचार उपकरणों, ऑटोमोटिव, सेलफोन आदि का निर्यात बहुत तेजी से बढ़ा है।
चीन को निर्यात किए जाने वाले सामान के बास्केट को विस्तार देने के खासकर कृषि क्षेत्र को बढ़ाने की सरकार की कवायद को भी गति मिलती दिख रही है। महंगी कालीमिर्च व कॉफी, समुद्री उत्पाद का निर्यात लंबे समय से स्थिर था, जो बढ़कर 1.3 अरब डॉलर का हो गया है।
इस समय चीन के माल की ग्राहकों व उद्योगों द्वारा जांच और की वजह से भारत के उत्तरी पड़ोसी चीन से आयात लगातार दो साल से कम हो रहा है और यह 65.26 अरब डॉलर रहा, जबकि व्यापार घाटा कम होकर 48.6 अरब डॉलर हो गया है। बहरहाल जहां व्यापार घाटा कम होकर 5 साल के निचले स्तर पर है, इस अंतर की रफ्तार कम हुई है। 2018-19 में जहां कारोबारी घाटा 9.48 अरब डॉलर कम हुआ था, वहीं 2019-20 में कारोबारी घाटा बहुत कम 4.9 अरब डॉलर घटा है।
कोरोनावायरस को रोकने के मामले में चीन के खिलाफ व्यापक नाराजगी की वजह से विनिर्माताओं को अपने संयंत्र चीन से हटाने पर विचार करना पड़ रहा है। हाल में लद्दाख सीमा पर हुई हिंसा से घरेलू कारोबारी समूह, उद्योग संगठन और राजनीतिक दल बड़े पैमाने पर चीन के सामान का विरोध कर रहे हैं। 2019-20 में चीन से सभी प्रमुख आयातों में कमी आई है। सबसे बड़ी गिरावट मोबाइल फोन और उसके पुर्जों के आयात में आई है।

First Published - July 5, 2020 | 11:14 PM IST

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