वाणिज्य विभाग पर पूर्व और बाद के निर्यात क्रेडिट पर मिलने वाले ब्याज दर में छूट की तिथि को बढ़ाने के लिए दबाव पड़ रहा है, जो 31 मार्च 2008 को खत्म हो रहा है।
वित्त मंत्रालय ने घोषणा की थी कि रुपये की मजबूती को देखते हुए निर्यात क्रेडिट पर ब्याज दरों में छूट कुछ उत्पादों पर दिया जा सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ‘वाणिज्य विभाग ब्याज दर में छूट दिए जाने की तिथि बढ़ाए जाने के मसले पर बातचीत कर रहा है।’
जुलाई 2007 में वित्त मंत्रालय ने ब्याज दरों में 2 प्रतिशत अंक के छूट की घोषणा की थी। यह यह एक अप्रैल 2007 से 31 दिसंबर 2007 के बीच के आउटस्टैंडिंग बैलेंस पर दिया गया था। इस छूट का लाभ 10 सेक्टरों को मिला, जिसमें एसएमई सेक्टर, टेक्सटाइल (जिसमें हैंडलूम शामिल है), चर्म उद्योग, सामुद्रिक उत्पाद, खेल के सामान, और इंजीनियरिंग उत्पाद शामिल हैं।
इसी क्रम में पिछले अक्टूबर में छूट की अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 मार्च 2008 कर दी गई। साथ ही चार अन्य क्षेत्रों- जूट और कार्पेट, काजू, काफी, चाय, साल्वेंट एक्सट्रैक् शन और डीआयल्ड केक के साथ प्लास्टिक और लिनोलेन को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
एक महीने बाद वित्त मंत्रावय ने घोषणा की कि चमड़ा, सामुद्रिक उत्पाद, सभी प्रकार के टेक्सटाइल और हस्तशिल्प को दो प्रतिशत की अतिरिक्त छूट दी जाएगी। बहलहाल यह नियम भी रखा गया कि एक्पोर्ट क्रेडिट पर ब्याज दरें 7 प्रतिशत से कम नहीं होंगी।
वाणिज्य मंत्रालय ने नवंबर 2007 में कैबिनेट के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था कि निर्यात में राहत के लिए और भी कदम उठाए जाने चाहिए। इसमें पूंजीगत वस्तुओं का आयात ईपीसीजी के माध्यम से शून्य आयात शुल्क पर किया जाना और राज्य सरकार द्वारा लगाए जाने वाले कर की वापसी के लिए केंद्र की ओर से धन का आवंटन, डीईपीबी डयूटी ड्राबैक जैसे सेज का लाभ दिया जाना भी शामिल हो सकता है। बहरहाल केंद्रीय कैबिनेट ने इस पर कोई विचार नहीं किया, जो प्रस्ताव वाणिज्य मंत्रालय ने रखे थे।