तकनीकी उत्पादों पर शुल्क के मसले पर भारत के साथ विवाद में यूरोपीय संघ (EU) का रुख नरम पड़ा है। ईयू ने कहा कि वह तकनीकी उत्पादों पर भारत के साथ जारी विवादों का संतोषजनक समाधान पसंद करेगा मगर उसके पास इन उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने का भी अधिकार है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने इस मामले में ईयू के पक्ष में आदेश दिया है, जिसके खिलाफ भारत ने अपील की है।
यूरोपीय संघ का नियम है कि डब्ल्यूटीओ में अपील इकाई नहीं होने पर भी कोई देश अपील करता है तो संघ उसके खिलाफ जवाबी शुल्क (सीमा शुल्क या अन्य शुल्क) लगा सकता है।
संघ के एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस समय डब्ल्यूटीओ में अपील सुनने वाली कोई संस्था नहीं है, इसलिए भारत की अपील का कोई मतलब ही नहीं है और मामला लटक गया है। ऐसे में ईयू अपने अधिकारों की रक्षा के नियम का इस्तेमाल कर जवाबी शुल्क लगा सकता है। मगर हम भारत के साथ विवाद का संतोषजनक समाधान करना चाहते हैं।’
यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब डब्ल्यूटीओ के दूसरे सबसे बड़े विवाद निपटान पंचाट ने 17 अप्रैल को आदेश दिया था कि भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी और मोबाइल सहित दूरसंचार उपकरणों पर शुल्क लगाकर वैश्विक समझौते का उल्लंघन किया है। भारत ने आदेश के खिलाफ अपील कर दी।
यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा कि डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान इकाई की बैठक 18 दिसंबर को बैठक होनी थी, जिसमें इस मामले पर समिति की रिपोर्ट स्वीकार की जा सकती थी।
इस संबंध में बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवाल पर संघ के अधिकारियों में कहा, ‘रिपोर्ट स्वीकार कर ली जाती तो भारत को इसकी सिफारिश माननी पड़ती यानी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से जुड़े सभी उत्पादों से शुल्क हटाना पड़ता। मगर भारत ने इस बैठक से पहले ही अपील दायर कर दी।’
वाणिज्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि डब्ल्यूटीओ द्वारा तय मियाद के भीतर ऐसा समाधान नहीं हो पाया, जो दोनों पक्षों को मंजूर होता।