यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) देशों के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत भारत चिकित्सा उपकरण और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता के जरिये कम से कम 10 लाख नौकरियां सृजित करने के लिए जबरदस्त ढंग से मोलभाव कर रहा है।
ईएफटीए में चार देश – आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटनस्टाइन हैं। इस मामले के जानकार एक व्यक्ति के अनुसार यह विचार– विमर्श अंतिम चरण में है और दोनों पक्ष भारत में आम चुनाव से पहले व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना चाहते हैं।
इस मामले की जानकारी देने वाले व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘भारत 15 वर्ष की अवधि में 100 अरब डॉलर के निवेश के लिए दबाव डाल रहा है। इसके परिणामस्वरूप भारत में कम से कम 10 लाख नौकरियों का सृजन हो सकता है।
यह व्यापार समझौते में प्रस्तावित निवेश चैप्टर का हिस्सा भी हो सकता है और इसके लिए अलग से निवेश समझौते की जरूरत नहीं है।’ यदि यह प्रयास अपने अंजाम तक पहुंच जाता है तो पहली बार मुक्त व्यापार समझौते में ऐसी प्रतिबद्धता होगी।
जानकार व्यक्ति ने कहा, ‘यूरोपीय देश (ईएफटीए) भी भारतीय कंपनियों के साथ गठजोड़ पर नजर लगाए हुए हैं। वे भारत को बड़े उपभोक्ता आधार के रूप में देखते हैं और भारत का विकास भी अलग तस्वीर पेश करता है।’ भारत और ईएफटीए देशों ने व्यापक व्यापार आधार व निवेश समझौते के लिए बातचीत 16 वर्ष पहले शुरू की थी। इस क्रम में 13 दौर की बातचीत हुई और वर्ष 2013 के अंत से इसे रोक दिया गया था।
इसके बाद बातचीत 2016 में शुरू हुई और इस बारे में फिर चार दौर की बातचीत हुई। इस क्रम में अंतिम दौर की बातचीत नई दिल्ली में इस साल 8 से 13 जनवरी के बीच हुई थी। इस दौरान वस्तुओं और सेवाओं, उद्गम के नियमों, चिरस्थायी विकास, निवेश संवर्धन और कारोबारी सुविधाओं पर बातचीत हुई थी। वाणिज्य विभाग ने बीते महीने कहा था, ‘बातचीत अग्रिम चरण में है।’
इन चार ईएफटीए देशों में स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। बीते वित्त वर्ष में भारत का ईएफटीए देशों से कारोबार पर्याप्त घाटे में रहा था। भारत का ईएफटीए के साथ वित्त वर्ष 2023 में व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर था। इस क्रम में निर्यात 1.9 अरब डॉलर और आयात 16.7 अरब डॉलर का था।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने आगाह किया था कि भारत को ईएफटीए से समझौते के जरिये संतुलन को हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। बीते माह जारी रिपोर्ट के अनुसार, ‘ईएफटीए के पक्ष में व्यापक स्तर पर व्यापार घाटा होने के कारण चिंताएं हैं।
स्विट्जरलैंड ने अपनी नई नीति में सभी औद्योगिक सामानों को शुल्क मुक्त पहुंच की अनुमति दे दी है और भारत की सेवाओं की सीमित पहुंच है। इन कारणों से ईएफटीए देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते से समुचित लाभ मिलने पर सवाल उठने लगे हैं। मुक्त व्यापार समझौते के हालिया प्रारूप से भारत के निर्यातकों को लाभ नहीं मिलेगा और इससे अधिक आयात होगा। इससे व्यापार घाटा बढ़ेगा।’