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मुद्रास्फीति परिदृश्य प्रतिकूल पर आर्थिक दबाव समाप्त

Last Updated- December 14, 2022 | 8:33 PM IST

दिसंबर की अपनी बैठक में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित बनाए रखकर भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने स्पष्ट कर दिया है कि उपभोक्ता मुद्रास्फीति को लेकर उम्मीद मजबूत बनी हुई है।
एमपीसी को अब अक्टूबर-दिसंबर अवधि (मौजूदा तिमाही) में उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई)-आधारित मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत के औसत पर और जनवरी-मार्च 2021 में 5.8 प्रतिशत पर रहने की संभावना है। यह उसके वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही के 4.5-5.5 प्रतिशत के उसके शुरुआती अनुमान से ज्यादा है।
एमपीसी ने अपने बयान में कहा है, ‘मुद्रास्फीति के लिए परिदृश्य पिछले दो महीनों में अनुमान के मुकाबले काफी बदला है।’
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ऐसे तीन कारक हैं जिनसे उपभोक्ता मुद्रास्फीति में तेजी आ रही है- आपूर्ति शृंखला से संबंधित समस्याएं, अत्यधिक मार्जिन और अप्रत्यक्ष कर।
दूसरा कारक उपभोक्ता और थोक बिक्री मुद्रास्फीति के बीच बड़े अंतर से स्पष्ट दिखा है। कोविड-19 लॉकडाउन के बाद के महीनों में यह अंतर बढ़ा है। पेट्रोल और डीजल पर भारी शुल्कों से कई वस्तुओं और सेवाओं की लागत भी बढ़ रही है।
समस्याएं आपूर्ति शृंखला के बजाय स्वयं आपूर्ति से जुड़ी हो सकती हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कुछ मामलों में यह श्रम किल्लत हो सकती है, और अन्य में, कई छोटी कंपनियों द्वारा गतिविधियों को बंद किया जाना हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन और लॉजिस्टिक में कमी को बढ़ावा मिला।
मुख्य मुद्रास्फीति को लेकर उन्होंने कहा कि लागत वृद्घि का दबाव मुख्य मुद्रास्फीति पर बना हुआ है। हालांकि एमपीसी ने नीतिगत रुख व्यवस्थित बनाए रखा है, लेकिन विश्लेषकों ने उम्मीद के मुकाबले जल्द बदलाव की चेतावनी दी है।
आरबीएल बैंक में अर्थशास्त्री रजनी ठाकुर ने कहा, ‘आरबीआई मौजूदा ऊंचे मुद्रास्फीति स्तरों को मुख्य रूप से आपूर्ति संबंधित मानता है, लेकिन यदि मुख्य मुद्रास्फीति स्तर लगातार तेजी का रुझान दर्शाते हैं और मुद्रास्फीति उम्मीदें ऊपर जाती हैं, तो बाजार को मौजूदा हालात में तुरंत बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।’
दास ने कहा कि पेरिशेबल फूड (ज्यादा समय तक टिकाऊ नहीं रहने वाले खाद्य उत्पाद) की कमजोर कीमतों का असर होगा, लेकिन यह क्षणिक राहत होगी। उन्होंने कहा कि एमपीसी ने महसूस किया है कि परिवारों की मुद्रास्फीति संबंधित उम्मीदें खाद्य कीमतों में मौसमी नरमी की उम्मीद में आसान हुई हैं।
वृद्घि के मोर्चे पर एमपीसी का कहना है कि हम जीडीपी दबाव के दौर से पहले ही निकल चुके हैं और मामूली वृद्घि की राह पर वापस आए हैं। तीन नए सदस्यों वाली मौद्रिक समिति को भारत की वास्तविक जीडीपी चालू तिमाही में 0.1 प्रतिशत बढऩे और चौथी तिमाही में 0.7 प्रतिशत तक की वृद्घि का अनुमान है।
एमपीसी ने कहा है कि लेकिन रिकवरी के संकेत ज्यादा मजबूत नहीं हैं, लेकिन निरंतर नीतिगत समर्थन पर निर्भरता की वजह से मुद्रास्फीति में नरमी आने में समय लगेगा।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘कीमत दबाव बढ़ रहा है और कीमत स्थिरता के मजबूत बचाव से संकेत मिलता है कि दरों में और ज्यादा कटौती की गुंजाइश काफी कम है, लेकिन दरें लंबे समय तक दर वृद्घि टाले जाने से दरें लंबी अवधि तक नीचे बनी रहेंगी।’

First Published - December 5, 2020 | 12:06 AM IST

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