केंद्र सरकार ने आज ई-कामर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एमेजॉन और फ्लिपकार्ट सहित करीब 16 कंपनियों के कार्याकारियों से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक इस वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्घन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव गुरुप्रसाद महापात्र और डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव मनमीत के नंदा ने की। मामले के जानकार लोगों ने बताया कि कंपनी अधिकारियों ने सरकार को मिलीजुली राय से अवगत कराया है। सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक में आधी से अधिक कंपनियों ने ई-कॉमर्स में एफडीआई नीति में स्थायित्व और निरंतरता लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि नीति में किसी तरह के बदलाव का असर निवेश के माहौल और देश की प्रतिष्ठा पर पड़ेगा।
उड़ान, पेपरफ्राइ, जोमैटो, स्विगी, उबर और ओला जैसी कंपनियों के अधिकारी बैठक में मौजूद रहे। बैठक में शामिल अन्य कंपनियां स्नैपडील, रिलायंस, नाइका, अर्बन कंपनी, 1एमजी और बिगबास्केट, पेटीएम और टाटा क्लिक शामिल रहीं। कुछ कंपनी कार्यकारियों ने सरकार से कहा कि ई-कॉमर्स पर वह दीर्घावधि के लिए विचार करे और नीति को स्थिरता प्रदान करे। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को एफडीआई की जरूरत है और स्टार्टअप सहित बहुत से उभरती कंपनियां इस तरह के निवेश पर विचार कर रही हैं। बैठक में बारे में प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘निवेश के अच्छे माहौल से नए निवेशों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही कंपनियां आईपीओ बाजार को खोलने में सक्षम बनेंगी। इसके लिए जरूरी है कि नीति में निरंतरता और स्थायित्व बना रहे।’ कंपनियों के अधिकारियों ने सरकारी अधिकारियों से कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों ने देश में एक वैध नीतिगत व्यवस्था के तहत निवेश किया है।