कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद जो उद्योग जल्द से जल्द दौड़ने लगे, उनमें विमानन भी शामिल था। इसीलिए विमानन कंपनियां उड़ानों की संख्या बढ़ाने, नेटवर्क फैलाने और क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रही हैं मगर उनके बेड़े में शामिल जो विमान ठप पड़े हैं, वे कंपनियों की राह में बाधा बन रहे हैं।
विमानन विश्लेषक फर्म सिरियम के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 102 वाणिज्यिक विमान अब भी उड़ान भरने के बजाय जमीन पर खड़े हैं। ये सभी काम करना शुरू कर दें तो दिल्ली और मुंबई के बीच रोजाना 400 उड़ान बढ़ जाएंगी।
यह ख्याली पुलाव नहीं है। विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के आंकड़ों के अनुसार 2022 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 47 फीसदी बढ़ गई है और 2019 के मुकाबले महज 14 फीसदी कम है।
अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात बढ़ा है और और उसमें भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है। अक्टूबर से दिसंबर 2022 के दौरान भारत आने वाले और भारत से जाने वाले हवाई मुसाफिरों की संख्या करीब दोगुनी होकर 1.45 करोड़ पर पहुंच गई। इसमें भारतीय विमानन कंपनियों की हिस्सेदारी 43 फीसदी से अधिक रही।
भारतीय विमानन कंपनियों के लिए जमीन पर खड़े यानी ठप पड़े विमानों की समस्या कोई नई नहीं है। 30 दिनों में एक भी उड़ान नहीं भरने वाले विमान इस श्रेणी में रखे जाते हैं। मगर भारतीय कंपनियों के बेड़े में 106 विमान ऐसे हैं, जो पिछले एक साल से उड़े ही नहीं हैं।
हालांकि उस समय 18 अक्टूबर, 2021 से पूरी क्षमता के साथ कामकाज की सरकारी इजाजत के बावजूद विमान उद्योग महामारी से लड़खड़ाते हुए उबर रहा था। अब हवाई यातायात बढ़ गया है तो कंपनियों के लिए खड़े विमान ज्यादा भारी समस्या लगने लगे हैं। इनका इलाज ढूंढने में वे कोई कसर नहीं छोड़ रहीं।
इंडिगो के 34 विमान जमीन पर खड़े हैं जो उसके बेड़े का 11 फीसदी हिस्सा हैं। इनमें से 31 प्रैट ऐंड व्हिटनी से इंजन मिलने में देर होने के कारण नहीं उड़ पा रहे हैं। इंडिगो के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हम एक साल पहले के मुकाबले 18 फीसदी अधिक उड़ान भर रहे हैं।’ ऐसा इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि साल भर के भीतर कंपनी ने अपने पास विमानों की संख्या 278 से बढ़ाकर 304 कर ली है।
इंडिगो के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमें नए विमान लगातार मिल रहे हैं और नए इंजन भी आ रहे हैं मगर उनकी रफ्तार जरूरत से कम है।’ प्रैट ऐंड व्हिटनी ने इस बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया। मगर इंडिगो ठप पड़े विमानों के लिए कंपनी से मुआवजा मांग रही है और पा भी रही है।
गो फर्स्ट जैसी छोटी विमानन कंपनियों के लिए चुनौतियां ज्यादा हैं। उसके बेड़े में 55 विमान हैं, जिनमें 22 नहीं उड़ रहे, जबकि एक साल पहले केवल 13 विमान ठप थे। इन सभी विमानों को नए प्रैट ऐंड व्हिटनी इंजन का इंतजार है। गो फर्स्ट के उड़ान नेटवर्क में साल भर के भीतर करीब 25 फीसदी कमी आ गई है और अब वह हर हफ्ते केवल 1,536 उड़ानें चला रही है। सूत्रों ने बताया कि गो फर्स्ट भी मुआवजे के लिए कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है।
स्पाइसजेट के लिए झटका दोहरा है। सिरियम के आंकड़ों से पता चलता है कि 90 विमानों के उसके बेड़े में से 28 विमान जमीन पर खड़े हैं। विमानन कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि यह गलत है।
उन्होंने कहा, ‘ पट्टेदारों को जमीन पर खड़े अधिकतर विमानों की दोबारा डिलिवरी हो चुकी है लेकिन पंजीकरण बाकी होने के कारण वे उड़ान नहीं भर रहे। हमारे कुछ विमान पुर्जों के अभाव में जमीन पर खड़े हैं।’
स्पाइसजेट पूंजी किल्लत से जूझ रही है। इससे विमान पट्टेदारों को भुगतान में देर हो रही है। पिछले महीने उसके बोर्ड ने कार्लाइल एविएशन पार्टनर्स को स्पाइसजेट में 7.5 फीसदी हिस्सेदारी और सहायक कार्गो कंपनी में अनिवार्य परिवर्तनीय डिबेंचर देकर 10 करोड़ डॉलर से अधिक के बकाये का पुनर्गठन किया था।
सिरियम के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल के दौरान स्पाइसजेट का उड़ान नेटवर्क एक तिहाई घट गया है। पिछले महीने विमानन कंपनी ने कहा था कि वह तकनीकी कारणों से कई विमान नहीं उड़ा पा रही है।
एयर इंडिया इन समस्याओं से उबर रही है। सरकार ने जनवरी 2022 में एयर इंडिया टाटा समूह के हाथों में दे दी थी। अब वह कलपुर्जे खरीद रही है और अधिक से अधिक विमान उड़ा रही है। यही कारण है कि जमीन पर खड़े उसके विमानों की संख्या 31 से घटकर 14 रह गई है। पिछले एक साल के दौरान एयर इंडिया की उड़ानों में करीब एक तिहाई की बढ़ोतरी हुई है।
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने कई विमान उड़ाने शुरू कर दिए हैं, जिससे हमारा परिचालन नेटवर्क बढ़ गया है और मौजूदा मार्गों पर उड़ानों की संख्या बढ़ गई है।’ हाल में एयर इंडिया बोइंग और एयरबस को रिकॉर्ड 470 नए विमानों का ऑर्डर देकर सुर्खियों में रही थी।