अमेरिकी में सकल घरेलू उत्पाद (US GDP) तेजी से बढ़ने के कारण सरकारी बॉन्ड और रुपये (INR Vs USD) का प्रदर्शन कमजोर रहा। हालिया आंकड़ों से पता चला है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में आक्रामक बढ़ोतरी किए जाने के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
अप्रैल और जून के बीच अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2.4 फीसदी की वृद्धि हुई जो करीब 1.8 फीसदी की उम्मीद से अधिक है। अमेरिकी जीडीपी को मुख्य तौर पर उपभोक्ता खर्च और निवेश में वृद्धि से दम मिला।
आंकड़े जारी होने के बाद, डॉलर सूचकांक बढ़कर 101.76 हो गया जो गुरुवार को 100.52 रहा था। डॉलर सूचकांक छह मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत को प्रदर्शित करता है।
रुपया आज 0.4 फीसदी की गिरावट के साथ 82.26 रुपये प्रति डॉलर पर
अमेरिकी आंकड़ों के प्रभाव में रुपया आज 0.4 फीसदी की गिरावट के साथ 82.26 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। गुरुवार को रुपया 81.94 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच, डीलरों ने कहा कि अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल बढ़ने के साथ ही सरकारी बॉन्ड प्रतिफल तीन महीने की ऊंचाई को पार कर गया। हालांकि शुरुआती तेजी के बाद पूरे सत्र के दौरान बेंचमार्क प्रतिफल 7.16 से 7.18 फीसदी के दायरे में रहा।
एक प्राथमिक डीलरशिप के डीलर ने कहा, ‘बाजार अमेरिकी प्रतिफल पर नजर रख रहा था और सुबह उसमें गिरावट दर्ज की गई। 7.18 फीसदी प्रतिफल (बेंचमार्क 10-वर्षीय बॉन्ड पर) पर मामूली खरीदारी हुई और उसके बाद प्रतिफल एक दायरे में सीमित हो गया।’ बेंचमार्क 10-वर्षीय बॉन्ड पर प्रतिफल 4 आधार अंक बढ़कर 7.16 फीसदी हो गया।
‘भविष्य में प्रतिफल 7.10 से 7.25 फीसदी के दायरे में रहेगा’
एचडीएफसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पलड़ा अब भारत की घरेलू 10-वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि के पक्ष में झुकता दिख रहा है। हमें 7.20 फीसदी से अधिक का रास्ता साफ होता दिख रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में प्रतिफल 7.10 से 7.25 फीसदी के दायरे में रहेगा। इसमें जोखिम का संतुलन ऊपरी सीमा की ओर झुका हुआ है।’
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बैंकों ने आरबीआई की 14-दिवसीय परिवर्तनीय दर रिवर्स रीपो नीलामी में 93,761 करोड़ रुपये लगाए जबकि अधिसूचित राशि 1,50,000 करोड़ रुपये थी। इससे प्रतिफल को दम मिलेगा। भारतीय रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष के लिए रीपो दर को अपरिवर्तित रख सकता है। मगर अगले कुछ महीनों के दौरान तरलता को तेजी से सोखते हुए मौद्रिक सख्ती लागू की जा सकती है।
इस सप्ताह के आरंभ में बुधवार को अमेरिका में दर निर्धारित करने वाले पैनल ने दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की जो उम्मीद के मुताबिक रही। बाजार उम्मीद कर रहा था कि पैनल जुलाई के बाद दरों में बढ़ोतरी नहीं करेगा।
एक डीलर ने कहा, ‘पॉवेल ने कहा कि दरों में उतार-चढ़ाव आंकड़ों पर निर्भर करेगा और अब हमारे पास व्यक्तिगत खपत के आंकड़े भी आने हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कोई एक डेटा दरों के रुख को नहीं बदल सकता।’
फेडरल रिजर्व ने मार्च 2022 में दरों में 525 आधार अंकों की वृद्धि की थी
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मार्च 2022 में दरों में 525 आधार अंकों की वृद्धि की थी जिससे फेडरल ब्याज दरें बढ़कर 5.25 से 5.50 फीसदी के दायरे पहुंच गई थीं। यह अमेरिकी ब्याज दरों में पिछले 22 वर्षों के दौरान की गई सबसे अधिक वृद्धि थी। जून की मौद्रिक समीक्षा में दरों को अपरिवर्तित रखा गया था।