भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई परिवर्तन नहीं किए जाने पर भारतीय कंपनियों में खासी निराशा है।
फिक्की ने कहा है कि बाजार में तरलता संकट जोरों पर है, ऐसे में रिजर्व बैंक ने दरों में कटौती नहीं करके स्थिति को सुधारने का एक अवसर गंवा दिया है।
फिक्की ने कहा, ‘मार्च तक महंगाई दर घटकर 3 फीसदी होने की उम्मीद है। अगर दरों में कटौती होती , तो बाजार का विश्वास लौट जाता और स्थिति बेहतर होती।
आरबीआई और सरकार ने पिछले दिनों जिस तरह के मौद्रिक कदम उठाए थे, उसे अगर बरकरार रखा जाता, तो कुछ बेहतर की उम्मीद की जा सकती थी।’
भारतीय उद्योग महासंघ (सीआईआई) ने कहा है कि रिजर्व बैंक के हालिया मौद्रिक नीति से निर्माण क्षेत्र में और अधिक गिरावट आएगी। इस कदम से मंदी के हालात में किसी तरह के सुधार की गुंजाइश कम हो गई है।
सीआईआई ने कहा, ‘अभी के माहौल में सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे उद्योगों पर पडा है। लेकिन अब उसमें सुधार की संभावना कम हो गई है।’ एसोचैम ने कहा है कि कंपनियों को आसान ब्याज दरों पर रुपये उपलब्ध कराना समय की मांग है।
