अमेरिकी बैंकिंग क्षेत्र में संकट के बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने वित्तीय क्षेत्र के शेयरों में सबसे ज्यादा निवेश किया। उधर, वृद्धि को लेकर अनिश्चितता के कारण सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से सबसे ज्यादा निवेश निकासी हुई।
FPI ने अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में वित्तीय क्षेत्र के 3,280 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे जबकि आईटी क्षेत्र के 5,910 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। यह जानकारी प्राइमइन्फोबेस के आंकड़ों से मिली।
ऐतिहासिक तौर पर इन दोनों क्षेत्रों की हिस्सेदारी देश में होने वाले विदेशी निवेश में सबसे ज्यादा है। देसी बैंकों में मजबूत निवेश देखने को मिला क्योंकि विकसित दुनिया के बैंक दबाव में हैं।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का चक्र अपनी समाप्ति के करीब है और क्रेडिट की रफ्तार जारी है। ज्यादातर बैंकों का NPA कम हुआ है। बैंकिंग व वित्त ऐसे क्षेत्र हैं, जो दो अंकों में लाभ दर्ज करने के लिहाज से बेहतर स्थिति में हैं।
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उन्होंने कहा, अमेरिका में बैंकिंग संकट जारी है। भारत के आईटी क्षेत्र को अपनी आय का बड़ा हिस्सा बैंकिंग व वित्तीय क्षेत्र से हासिल होता है। डॉलर के लिहाज से आईटी निर्यात एक अंक में बढ़ रहा है। आगामी दिनों में आईटी शेयरों पर और दबाव नजर आ सकता है। अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में एफपीआई का शुद्ध निवेश 2,864 करोड़ रुपये रहा। पूंजीगत सामान व तेल-गैस और ऊर्जा क्षेत्र में भी निवेश सकारात्मक रहा।
अप्रैल के आखिर में FPI का सबसे ज्यादा क्षेत्रीय आवंटन वित्तीय सेवाओं में रहा, जो इससे पिछले पखवाड़े के 34.09 फीसदी से बढ़कर 34.16 फीसदी पर पहुंच गया। ऊर्जा क्षेत्र में आवंटन 9.94 फीसदी से बढ़कर 10.07 फीसदी पर पहुंच गया। आईटी में आवंटन 10.5 फीसदी से घटकर 9.9 फीसदी रह गया।