अर्थव्यवस्था

DESH Bill: विशेष आर्थिक जोन के नियमों में बदलाव संभव

Published by
श्रेया नंदी
Last Updated- April 26, 2023 | 11:35 PM IST

वाणिज्य मंत्रालय वर्तमान विशेष आर्थिक जोन (सेज) के कुछ कानूनों में बदलाव के लिए कार्य कर रहा है। अभी विकास उद्यम और सेवा हब (DESH) विधेयक का भविष्य अधर में लटका हुआ है लेकिन इन बदलावों से आईटी/आईटीईएस को सेज से इतर उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल नहीं हुए क्षेत्र को प्रयोग करने की अनुमति मिल जाएगी। इस बदलावों के लागू होने से कुछ मंजिलों या इमारतों को आंशिक गैर अधिसूचित किए जाने से इस्तेमाल नहीं हो रही जमीन को मुक्त कर दिया जाएगा।

इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘‘वाणिज्य मंत्रालय विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 में बदलाव करने से पहले राजस्व मंत्रालय से अभी विचार-विमर्श कर रहा है।’’

यह उपबंध डीईएचएस विधेयक का हिस्सा थे। इसमें यह प्रस्ताव दिया गया था कि अगर यह जमीन समीपवर्ती क्षेत्र में खाली पड़ी हो तो उसे गैर अधिसूचित किए जाए। इसका अर्थ यह हुआ कि ‘डेवलपमेंट हब’में एक ही इमारत में खाली स्थान होने की स्थिति में जमीन को गैर अधिसूचित कर अन्य कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

वाणिज्य और राजस्व मंत्रालयों की राय अलग-अलग रहने के कारण फिर से तय किए गए सेज कानून बनाम डीईएसएच विधेयक को लागू किया जाना लंबित हुआ है।

वाणिज्य मंत्रालय ने विधेयक का पहले प्रारूप को जून में अंतिम रूप दे दिया था लेकिन इस पर राजस्व मंत्रालय ने प्रस्तावित वित्तीय प्रोत्साहन पर गंभीर आपत्तियां दर्ज की थीं। संसद के मानसून सत्र में इस योजना के सदन के समक्ष पेश किए जाने की शुरुआती योजना है। इसके बाद शीतकालीन सत्र में वाणिज्य मंत्रालय के आंतरिक लक्ष्यों को पारित किया जाना था। लेकिन दोनों मंत्रालयों में मतभेद कायम हैं।

नए कानून को लागू किए जाने को लेकर जारी अनिश्चितता के कारण सेज में निवेश करने वाले वर्तमान व संभावित निवेशक असमंजस में फंस गए हैं। डीईएसएच विधेयक के नए प्रारूप में ‘डबलपमेंट हब’ बनाने की जरूरत बताई गई है। ‘डेवलपमेंट हब’ बनने की स्थिति में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, रोजगार बढ़ेगा, वैश्विक आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला से समन्वय होगा।

First Published : April 26, 2023 | 11:35 PM IST