facebookmetapixel
तीन दमदार स्टॉक्स में जोरदार ब्रेकआउट, एनालिस्ट ने बताए नए टारगेट और स्टॉप लॉसटाटा ट्रस्ट में नेविल टाटा की नियुक्ति उत्तराधिकार का संकेतकैम्स ने किया एआई टूल का ऐलानबढ़ती मांग से गूगल का एआई हब में निवेशStocks to Watch today: Ashok Leyland से लेकर Tata Steel और Asian Paints तक, आज इन स्टॉक्स में दिखेगा एक्शनStock Market Today: गिफ्ट निफ्टी से सुस्त संकेत, गुरुवार को कैसी रहेगी बाजार की चाल ?27% मार्केट वैल्यू गायब! आखिर TCS को क्या हो गया?कृषि को लाभदायक बिजनेस बनाने के लिए ज्यादा ऑटोमेशन की आवश्यकताQ2 Results: टाटा स्टील के मुनाफे में 272% की उछाल, जानें स्पाइसजेट और अशोक लीलैंड समेत अन्य कंपनियों का कैसा रहा रिजल्टसेबी में बड़े बदलाव की तैयारी: हितों के टकराव और खुलासे के नियम होंगे कड़े, अधिकारियों को बतानी होगी संप​त्ति!

कर उत्पीडऩ के आरोपों से इनकार

Last Updated- December 15, 2022 | 4:13 AM IST

निर्यातकों ने आरोप लगाया है कि फर्जी वस्तु एवं सेवा कर रिफंड का दावा करने वाले करीब 1,500 निर्यातकों का पता नहीं चलने से अधिकारी कई अन्य लोगों को परेशान कर रहे हैं। तकरीबन 5,500 निर्यातकों की पहचान ‘जोखिम पूर्ण’ रूप में की गई है और उन्हें 100 प्रतिशत खेपों की भौतिक जांच का सामना करना पड़ रहा है तथा आईजीएसटी क्रेडिट की रुकावट के अलावा भारी-भरकम दस्तावेज जमा करने पड़ रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप इस मुश्किल आर्थिक वक्त के दौरान तरलता में गंभीर कमी आ रही है।
निर्यातकों ने आरोप लगाया है कि अधिकारी सत्यापन के लिए 1,000 से अधिक दस्तावेजों की मांग कर रहे हैं, जबकि उन्हें यह तर्क भी दिया गया है कि ज्यादातर मामलों में निर्यातकों के बजाय चूक मुख्य रूप से आपूर्तिकर्ताओं की ओर से हुई है। जीएसटी के तहत चालान मिलान प्रणाली न होने को इस धोखाधड़ी के लिए जिमेदार ठहराया गया है। दस्तावेज की जांच करके लापता निर्यातकों का पता लगवाने के प्रयास के साथ-साथ रिफंड तत्काल जारी करने का आग्रह करते हुए वित्त मंत्रालय और वाणिज्य विभाग के सामने यह मामला उठाया गया है।
कुछ मामलों में जीएसटी के तहत चालान मिलान प्रणाली में विलंब के लिए गैर-अनुपालन को जिमेदार ठहराया गया है क्योंकि निर्यातकों को यह बात नहीं पता थी कि उनके आपूर्तिकर्ताओं ने जीएसटी का भुगतान नहीं किया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन (फियो) के डीजी और मुय कार्याधिकारी अजय सहाय ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कोई निर्यातक विभिन्न कारणों से जोखिमपूर्ण हो सकता है, क्योंकि एक प्रमुख कारण यह भी हो सकता है कि किसी आपूर्तिकर्ता अथवा आपूर्तिकर्ताओं के आपूर्तिकर्ता ने जीएसटी जमा न किया हो। सहाय ने कहा कि वे इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते थे कि जीएसटीआर 2 (खरीद रिटर्न) और जीएसटीआर 3 (इनपुट आउटपुट रिटर्न) के फॉर्म निलंबित कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस समय तरलता एक बड़ी चुनौती है और सरकार को यह बात माननी चाहिए तथा निर्यातकों की मदद करनी चाहिए।
जीएसटीएन पोर्टल पर तकनीकी गड़बडिय़ों के मद्देनजर सरकार ने नवंबर 2017 में विस्तृत रिटर्न फॉर्म – जीएसटीआर2 (खरीद) और जीएसटीआर3 (बिक्री खरीद रिटर्न) को निलंबित कर दिया था। फॉर्म जीएसटीआर1 (बिक्री) और जीएसटीआर2 के तहत रिटर्न जीएसटीआर3 के साथ मिलान किया जाना था ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि करदाताओं द्वारा किए गए दावे सही हैं।
वित्त मंत्रालय के अनुसार ऐसे 1,474 निर्यातकों ने, जिन्हें जोखिमपूर्ण निर्यातक के रूप में कहा गया है, 2,020 करोड़ रुपये मूल्य के आईजीएसटी रिफंड का दावा किया है। इन निर्यातकों में कुछ ‘7 स्टार’ नाम भी शामिल हैं जिनमें से पांच दिल्ली आधारित हैं और एक-एक कोलकाता तथा मुंबई में हैं। कुल मिलाकर इन मामलों का एक बड़ा हिस्सा यानी 1,125 मामले दिल्ली से हैं। इसके बाद सूरत का स्थान है जहां से 215 मामले थे। इसके बाद ठाणे (28), फरीदाबाद (15) और कोलकाता (11) का स्थान आता है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि उत्पीडऩ के दावे झूठे हैं और जोखिमपूर्ण निर्यातकों की ओर से आ रहे हैं जिनके लिए प्रमुख व्यापार संघाें द्वारा लॉबिंग की जा रही हैं।

First Published - July 27, 2020 | 11:38 PM IST

संबंधित पोस्ट