भारत की सेवा क्षेत्र की गतिविधियां दिसंबर महीने में 3 महीने के निचले स्तर पर रही हैं। ओमीक्रोन की वजह से तमाम राज्य सरकारों द्वारा रात का कफ्र्यू लगाने का असर इस क्षेत्र पर पड़ा है।
विश्लेषण फर्म आईएचएस मार्किट की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि सेवा का पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई-सर्विस) दिसंबर में गिरकर 55.5 रह रहा है, जो नवंबर में 58.1 था। 50 अंक से ऊपर आर्थिक गतिविधियोंं में विस्तार और इससे कम संकुचन को दिखाता है। सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में विनिर्माण पीएमआई भी गिरकर 3 महीने के निचले स्तर पर आ गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि नए ऑर्डर में हाल की वृद्धि घरेलू बाजार पर केंद्रित है और विदेश से नए कारोबार में और कमी आएगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट कोविड-19 प्रतिबंधों से जुड़ा है, खासकर यात्रा के मामले में।’ दिसंबर के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि सेवा अर्थव्यवस्था में नौकरियों में छटनी हो रही है, लेकिन संकुचन मामूली है।
इसमें कहा गया है, ‘दरअसल सर्वे में शामिल कंपनियों में बड़ी संख्या (96 प्रतिशत) में पेरोल के आंकड़ों में नवंबर से कोई बदलाव नहीं है। फर्मों ने सामान्यतया कहा है कि मौजूदा रोजगार का स्तर काम के बोझ को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।’
आईएचएस मार्किट में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि 2021 सेवा प्रदाताओं के लिए एक और उतार चढ़ाव वाला साल रहा है और वृद्धि दिसंबर में नीचे आई है। उन्होंने कहा, ‘सेवा फर्मों को सामान्यतया भरोसा था कि 2022 में आउटपुट बढ़ेगा, लेकिन कोविड-19 की नई लहर का डर और कीमत का दबाव उम्मीदों को कुछ धूमिल कर रहा है। पूरे परिदृश्य के हिसाब से अनिश्चितता है और क्षमता पर दबाव कम है, जिसकी वजह से दिसंबर में रोजगार में गिरावट आई है। हालांकि यह गिरावट मामूली है और उम्मीद है कि रिकवरी होगी।’
सेवा प्रदाताओं ने दिसंबर में व्यय में और वृद्धि की बात कही है। विश्लेषण फर्म ने कहा कि साक्ष्यों से पता चलता है कि केमिकल्स, खाद्य, ईंधन, मेडिकल उपकरणों, कार्यालय उत्पादों, टूल्स एवं ट्रांसपोर्टेशन की दरें बढ़ी हैं। ओमीक्रोन के प्रसार से विनिर्माण से ज्यादा संपर्क को लेकर संवेदनशील सेवाओं पर बुरा असर पडऩे की संभावना है।