पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रपति के रूप में डॉनल्ड ट्रंप के आगामी कार्यकाल में अमेरिका द्वारा कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाए जाने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी और इसकी वजह से कीमतों में नरमी आएगी।
सीआईआई पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज सम्मेलन 2024 में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि वैश्विक बाजार में ज्यादा कच्चा तेल आने से उत्पादन में कटौती करने वाले अन्य उत्पादकों को एक बार फिर उत्पादन बढ़ाना पड़ेगा। उन्होंने पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों के संगठन ओपेक की ओर इशारा करते हुए यह कहा।
पुरी ने कहा, ‘इस समय वैश्विक बाजार में ब्राजील, गुयाना, कनाडा और अमेरिका जैसे पश्चिमी क्षेत्र से ज्यादा उत्पादन आ रहा है। पिछले सितंबर में जब मैं ह्यूस्टन में गैसटेक में गया था, तो इस सिलसिले में बात की थी। मुझसे कहा गया कि पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने सुझाव दिया है कि अमेरिका में चुनाव के नतीजों के बावजूद कीमत में बढ़ोतरी होगी। आज अगर अमेरिका 130 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है और वह इसे और बढ़ाता है तो यह एक सुरक्षित बयान होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो बाजार में और तेल आ रहा है।’
यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में 130 लाख बीपीडी का उत्पादन फरवरी से अगस्त तक 7 महीनों के दौरान हुआ है। ब्रेंट क्रूड की वैश्विक मानक कीमत अगस्त के अंत से 80 डॉलर प्रति बैरल के नीचे बनी हुई है, जिसमें 7 अक्टूबर को आई तेजी ही अपवाद है, जब इजरायल और ईरान के बीच टकराव बढ़ गया था।
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 5 महीनों के दौरान अमेरिका, भारत के कच्चे तेल का पांचवां बड़ा स्रोत रहा है। रूस से पिछले 2 साल से कच्चे तेल पर मिल रही भारी छूट के बावजूद 2022-23 से ही अमेरिका इस स्थिति में बना हुआ है। इस साल जून और जुलाई में अमेरिका से सालाना आधार पर आयात क्रमशः 33 प्रतिशत और 39.8 प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन वाणिज्य विभाग के पास उपलब्ध आखिरी आंकड़े के मुताबिक अगस्त में करीब 80 प्रतिशत की कमी आई है।
एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के मुताबिक जनवरी से अक्टूबर 2024 के दौरान एशिया को भेजे गए अमेरिकी कच्चे तेल में सालाना आधार पर करीब 88,000 बीपीडी या 5.7 प्रतिशत की कमी आई है। इसकी वजह यह है कि चीन का आयात घटकर 1,55,000 बीपीडी रह गया है, जो 2023 के 3,05,000 बैरल प्रतिदन से कम है। अगले 12 महीनों में इससे भारत को और मदद मिलेगी। अधिकारियों ने कहा कि अगले 12 महीनों में इससे भारत और अन्य खरीदारों को अधिक अनुकूल कीमतें तय करने में मदद मिलेगी। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी तेल के एशियाई खरीदारों को आकर्षक कीमत पर खरीद का उल्लेखनीय रूप से ज्यादा अवसर मिलने जा रहा है।
एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटीज में लिक्विड बल्क के हेड मेंजामिन टैंग ने कहा, ‘अमेरिकी कच्चे तेल का उत्पादन और निर्यात बढ़ने से अमेरिका लगातार एशिया के ओपेक निर्यातकों को चुनौती देगा। साथ ही वह अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में नए बाजार विकसित करने व यूरोप के रिफाइनरों को लक्षित करेगा।’
लंबित कानून
पुरी ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक, 2024 संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित हो जाएगा, जो 25 नवंबर को शुरू होने जा रहा है। इसे अगस्त में संसद में पेश किया गया था।
यह विधेयक 1948 में लागू मौजूदा कानून की जगह लेगा, जिसमें आखिरी संशोधन 1969 में किया गया था। इसमें खनन पट्टे से इतर पेट्रोलियम पट्टे की अवधारणा लाई गई है।
पुरी ने कहा कि तेल और गैस परिसंपत्तियों के लिए पिछले ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (ओएएलपी) 9 बोली दौर में सरकार को प्राप्त बोलियों में से 38 प्रतिशत भारत के तलछटी बेसिन के 10 लाख वर्ग किलोमीटर के नो-गो क्षेत्र में हैं, जिसे हाल ही में खोला गया है।