कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को इस अनुमान से नीचे आ गई कि पश्चिम की अहम अर्थव्यवस्थाएं महंगाई पर लगाम कसने के लिए ब्याज की दरें ऊंची बनाए रखेंगी। ब्रेंट क्रूड फ्यूचर कारोबारी सत्र में एक साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के बाद 66 सेंट घटकर 95.89 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। नवंबर का वायदा शुक्रवार को एक्सपायर होगा। दिसंबर का ब्रेंट अनुबंध 66 सेंट घटकर 93.71 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
अमेरिका वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड फ्यूचर 76 सेंट घटकर 92.92 डॉलर प्रति बैरल पर रहा, जो कारोबारी सत्र में अगस्त 2022 के बाद पहली बार 95 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया था। कारोबारी सत्र में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने कम आपूर्ति और इन्वेंट्री में गिरावट को प्रतिबिंबित किया। विश्लेषकों ने ये बातें कही।
चूंकि ब्रेंट की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल की ओर बढ़ रही है, ऐसे में चिंता में इजाफा हो रहा है कि केंद्रीय बैंक ऊर्जा की ऊंची कीमतों के कारण बढ़ने वाली महंगाई पर लगाम कसने के लिए ब्याज दरों ऊंची बनाए रख सकते हैं।
जेड कैपिटल मार्केट्स के नईम असलम ने कहा, निवेशक जानते हैं कि तेल की ऊंची कीमतें अर्थव्यवस्था को परेशानी में डालने जा रहा है और आर्थिक गतिविधियां कम होगी, ऐसे में लंबी समय तक ब्याज दरें ऊंची बने रहने का डर है।
अमेरिकी क्रूड स्टॉक पिछले हफ्ते 22 लाख बैरल घटकर 41.63 करोड़ बैरल रह गया। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
ओकलाहोमा के भंडार में कच्चेतेल का स्टॉक 2.2 करोड़ बैरल से ज्यादा घटा है, जो जुलाई 2022 के बाद का सबसे निचला आंकड़ा है। इससे पहले सऊदी अरब और रूस साल के आखिर तक तेल उत्पादन में संयुक्त रूप से 13 लाख बैरल रोजाना की कटौती की घोषणा कर चुके हैं। ये देश ओपेक समूह का हिस्सा हैं।
रूस की तरफ से तेल निर्यात पर पाबंदी शायद ही जल्द हटाई जाएगी और देसी बाजार के स्थिर होने तक यह पाबंदी बनी रहेगी। यह जानकारी टास न्यूज एजेंसी ने गुरुवार को दी और उसने रूस के ऊर्जा मंत्री का हवाला दिया। ऊर्जा मंत्री ने कहा, रूस ने अपने ईंधन निर्यात पर पाबंदी की वजह से होने वाली कमी की भरपाई के लिए ओपेक से कच्चेतेल की आपूर्ति में संभावित बढ़ोतरी पर चर्चा नहीं की है।