ऋणशोधन अक्षमता नियामक ने संहिता के तहत अब तक आए सभी कानूनों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी है। इससे ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (IBC) में पूर्ण बदलाव होने की संभावना है। भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (IBBI) ने अपने तमाम नियमन पर सभी हिस्सेदारों को राय देने के लिए 8 महीने का वक्त दिया है, जो 31 दिसंबर को खत्म होगा।
IBBI ने इस कवायद को ‘क्राउडसोर्सिंग आफ आइडियाज’ नाम दिया है। ऋणशोधन अक्षमता नियामक ने यह भी कहा है कि वह सभी प्रतिक्रियाओं का अध्ययन एक साथ करेगा और निश्चित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नियमों में जरूरी बदलाव करेगा।
IBBI उम्मीद कर रहा है कि सभी हिस्सेदारों से प्रतिक्रिया लेने और उस पर विचार करने के बाद 31 मार्च, 2024 तक नियमों में संशोधन हो जाएगा और उन्हें 1 अप्रैल, 2024 से लागू किया जा सकेगा। सार्वजनिक प्रतिक्रिया आमंत्रित करते हुए IBBI ने कहा है कि लोगों की हिस्सेदारी, खासकर ऋणशोधन अक्षमता में शामिल होने वाले हिस्सेदारों की राय लिए जाने से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि इसमें दिलचस्पी लेने वालों और नियमों से प्रभावित होने वालों को कानूनी जरूरतों के बारे में सूचना है।
IBBI ने कहा, ‘गतिशील माहौल में बेहतर कवायद और इरादों के बावजूद यह संभव है कि नियामक इस तरह के नए और उभरते नियामकीय दौर मे जमीनी हकीकतों के समाधान में सक्षम साबित न हो।’
इसे सही दिशा में उठाया गया कदम करार देते हुए उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि इससे IBBI नियमों में पूरी तरह से बदलाव हो जाएगा और इससे IBC के प्रदर्शन को लेकर भरोसा बहाल होगा।
एआरसी एसोसिएशन (ARC Association) के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) हरिहर मिश्र ने कहा, ‘2023 के बजट भाषण में वित्तमंत्री ने कई वित्तीय नियामकों का हवाला देते हुए सभी हिस्सेदारों के साथ परामर्श के बाद मौजूदा नियमों की व्यापक समीक्षा की बात कही थी। आईबीसी में हाल समय में कुछ नई चुनौतियां आई हैं।’
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IBBI ने जिन नियमों पर जनता की राय मांगी है, उनमें कॉर्पोरेट से जुड़े लोगों के लिए ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया (इंसॉल्वेंसी रिसॉल्यूशन प्रॉसेस फार कॉर्पोरेट पर्संस), परिसमापन प्रक्रिया, कॉर्पोरेट व्यक्तियों के लिए तीव्र ऋणशोधन अक्षमता समाधान, कॉर्पोरेट कर्ज लेने वालों को व्यक्तिगत गारंटी देने वालों के लिए दिवाला प्रक्रिया आदि शामिल हैं।
कॉर्पोरेट प्रोफेशनल्स (Corporate Professionals) में पार्टनर मनोज कुमार ने कहा, ‘विभिन्न न्यायिक फैसलों, कंपनियों की सामान्य स्थितियों आदि के आधार पर आईबीसी कानून तेजी से विकसित हो रहा है। सरकार और नियामक इस क्षेत्र में प्रगति के मुताबिक कदम उठाते हैं और संशोधन करते हैं। अब नियामक आईबीबीआई सभी नियमों की एक साथ समीक्षा करना चाहता है। यह छोटे-छोटे बदलाव करने की तुलना में नियमों में संपूर्ण सुधार के लिए बेहतर विचार है।’
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हितधारक इन नियमन में मौजूद तमाम प्रावधानों के किसी भी नियम या उनके कार्यान्वयन में आने वाली किसी भी कठिनाई या किसी विसंगति के बारे में अपनी राय दे सकते हैं। वे किसी नियमन पर विशिष्ट टिप्पणी भी कर सकते हैं।
IBBI ने कंपनियों, कर्जदारो, ऋणशोधन अक्षमता पेशेवरों और उनकी एजेंसी, पेशेवर गारंटरों प्रोपराइटी फर्मों, साझेदारी फर्मों, शिक्षाविदों और निवेशको के साथ सभी की राय मांगी है, जिससे ज्यादा अनुकूल नियामक ढांचा तैयार किया जा सके।