भारत को उम्मीद है कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अगले कुछ हफ्तों में शुरू होने वाली वार्ता के दौरान अमेरिका स्टील और एल्युमीनियम पर अतिरिक्त आयात शुल्क और प्रस्तावित बराबरी के शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ)से जुड़े मुद्दों पर उसकी चिंताओं पर ध्यान देगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत वैश्विक व्यापार मानकों के समक्ष इसके टिकने के बारे में कुछ भी तय करने से पहले यह समझना चाह रहा है कि अमेरिका के प्रस्तावित टैरिफ कानून का आकार क्या होगा।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत और अमेरिका पारस्परिक तरीके से फायदेमंद और निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की दिशा में आगे बढ़ने के लिए राजी हैं, जिसमें घोषणा की गई सभी बातों का ख्याल रखा जाएगा। हम परस्पर लाभकारी व्यापार समझौता करेंगे। इस फोरम के जरिये सभी मसलों का समाधान किया जाएगा और उनके तथा हमारे वार्ताकार इन मसलों पर आपस में बैठकर एक साथ विमर्श करेंगे।’
टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं और ट्रंप प्रशासन द्वारा शुरू की जा रही संरक्षणवादी व्यापार नीतियों के कारण बड़े वैश्विक व्यापार युद्ध के खतरे के बीच वाणिज्य विभाग के अधिकारी यह भी पता लगाना चाह रहे हैं कि क्या इसमें भारत के लिए कोई अवसर है। विभाग जल्द ही उद्योग जगत के साथ विमर्श करेगा और उभरते परिदृश्य का लागत लाभ विश्लेषण भी किया जाएगा।
यह कवायद अमेरिका और चीन के बीच फिर से व्यापार युद्ध शुरू होने और अमेरिका के पड़ोसी देश मेक्सिको एवं कनाडा के साथ संभावित टैरिफ टकराव के बीच की जा रही है। यूरोपीय आयोग ने भी अमेरिका की बदले की व्यापार नीति पर चिंता जताई है और मार्च से लागू होने वाले स्टील एवं एल्यूमीनियम टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की ठानी है।