अमेरिका में लगातार मंदी और गिरती विकास दर के कयास को देखते हुए व्यापार विश्लेषकों का इसप्रकार मानना है।
भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ वर्ष 2008-09 के लिए विदेश व्यापार नीति के तहत प्रतिस्पर्धा और नये बाजार की तलाश पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
वार्षिक विदेश व्यापार नीति के 7 अप्रैल तक आने की उम्मीद है। रुपये में अप्रैल से जनवरी 2007-08 के बीच 9 प्रतिशत से ज्यादा की मजबूती के कारण निर्यात आर्डरों में कमी देखने को मिली। इस अवधि में 21.62 प्रतिशत निर्यात वृद्धि दर दर्ज की गई, जो पिछले साल 32.38 प्रतिशत थी।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक अमेरिका को अप्रैल-अक्टूबर 2007 की अवधि में निर्यात में वृद्धि गिरकर 8.02 प्रतिशत रह गयी , जो पिछले साल 13.03 प्रतिशत थी। अप्रैल-दिसंबर 2007 की अवधि में हस्तशिल्प के निर्यात में 75 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि बने बनाए परिधानों के निर्यात में 24 प्रतिशत,टेक्सटाइल और सूती धागे के निर्यात में 15.1 प्रतिशत,चमड़े में 19.6 प्रतिशत और समुद्री उत्पादों के निर्यात में 50.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
व्यापार विशेषज्ञ मानते हैं कि आज निर्यात बाजार में काफी प्रतिस्पद्र्धा हो गई है। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के निदेशक ने कहा कि आज की स्थिति में उत्पादकता और प्रतिस्पद्र्धा के दम पर ही निर्यात को बढावा दिया जा सकता है। वैसे निर्यातक जो दामों में कटौती कर अपने उत्पादों की गुणवत्त्ता बरकरार रख सकता है,तो उसे ऑर्डर मिलने में परेशानी नहीं आएगी।
चेको के मुताबिक केंद्रीय बिक्री कर (जो केंद्र वसूलता है और राज्यों में बांटा जाता है), बिजली बिलों पर कर और चुंगी की वजह से भी निर्यातकों के बीच प्रतिस्पद्र्धा बढ़ती है।निर्यातों में 15 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाले टेक्सटाइल जैसे क्षेत्र सरकार से राज्य द्वारा लगाए गए करों में रियायत चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि इसकी घोषणा विदेश व्यापार नीति के तहत होनी चाहिए।
भारतीय टेक्सटाइल उद्योग महासंघ के महासचिव डी के नायर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमारे उत्पादों का मार्जिन बढ़ जाता है ,जिसकी वजह से हमें कोई बड़ा ऑर्डर नहीं मिल पाता है। नायर के अनुसार मार्जिन 5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि बाजार आधारित योजनाओं और अफ्रीका,लैटिन अमेरिका और अन्य कॉमनवेल्थ मुक्त राष्ट्रों के साथ निर्यात की मजबूती से निर्यात को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
दक्षिण अफ्रीका जैसे नये बाजारों के साथ भारत का निर्यात 54.25 प्रतिशत बढा है ,लेकिन इसके बावजूद यह कुल निर्यात का मात्र 6.65 प्रतिशत है। इसी तरह लैटिन अमेरिका से निर्यात 42.69 प्रतिशत बढा है ,लेकिन यह कुल निर्यात का मात्र 3.38 प्रतिशत है। इस तरह के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारत के लिए अभी निर्यात के बहुतेरे बाजार बचे हुए हैं, जहां निर्याताें में वृद्धि की जा सकती है।