facebookmetapixel
EPFO Enrolment Scheme 2025: कामगारों के लिए इसका क्या फायदा होगा? आसान भाषा में समझेंउत्तर प्रदेश में MSMEs और स्टार्टअप्स को चाहिए क्वालिटी सर्टिफिकेशन और कौशल विकासRapido की नजर शेयर बाजार पर, 2026 के अंत तक IPO लाने की शुरू कर सकती है तैयारीरेलवे के यात्री दें ध्यान! अब सुबह 8 से 10 बजे के बीच बिना आधार वेरिफिकेशन नहीं होगी टिकट बुकिंग!Gold Outlook: क्या अभी और सस्ता होगा सोना? अमेरिका और चीन के आर्थिक आंकड़ों पर रहेंगी नजरेंSIP 15×15×15 Strategy: ₹15,000 मंथली निवेश से 15 साल में बनाएं ₹1 करोड़ का फंडSBI Scheme: बस ₹250 में शुरू करें निवेश, 30 साल में बन जाएंगे ‘लखपति’! जानें स्कीम की डीटेलDividend Stocks: 80% का डिविडेंड! Q2 में जबरदस्त कमाई के बाद सरकारी कंपनी का तोहफा, रिकॉर्ड डेट फिक्सUpcoming NFO: अगले हफ्ते होगी एनएफओ की बारिश, 7 नए फंड लॉन्च को तैयार; ₹500 से निवेश शुरूDividend Stocks: 200% का तगड़ा डिविडेंड! ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी का बड़ा तोहफा, रिकॉर्ड डेट फिक्स

बाल श्रम उन्मूलन हो लेकिन फंड के नाम पर दिखाया ठेंगा

Last Updated- December 05, 2022 | 4:33 PM IST

भारत सरकार ने खतरनाक उद्योगों में बाल श्रम को प्रतिबंधित किया है। 2 वर्ष पहले तो घरों और होटलों में भी बाल श्रम को प्रतिबंधित करने की कवायद की गई थी।


लेकिन इस बजट में वह उत्साह नही दिखा, क्योंकि इसबार भी इस मद में पहले साल की तरह 156 करोड़ रुपये ही आबंटित किये गए हैं।


श्रम मंत्रालय के अनुसार पूरे देशभर में अलग-अलग पेशों में कुल 1.2 करोड़ बच्चे कार्यरत हैं।


 लेकिन इन बच्चों के विकास की दिशा में सरकार का रुख उदासीन नजर आ रहा है, क्योंकि इस आबंटित राशि के जरिये हर बच्चे को मात्र 10 रुपये का हिस्सा ही प्रतिवर्ष नसीब हो रहा है।


अगर इसबार और पिछली बार के बजट की तुलना की जाए तो राशि में मात्र 3 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है,जो नगण्य है।


दरअसल ये राशि उन बच्चों और महिलाओं के लिए आबंटित की जाती है, जो इस कठोर श्रम की अग्नि में झोंक दिए जाते हैं। इन्हीं बच्चों और महिलाओं के विकास के लिए इस तरह की राशियों का प्रावधान किया जाता है।


 लेकिन इस आबंटित राशि का आंकलन किया जाए तो यह प्रति बच्चा 130 रुपये प्रतिवर्ष होता है, जो तकरीबन 10 रुपये प्रति माह के बराबर है।


लेकिन मंत्रालय इस मुद्दे पर अपना बचाव करते हुए एक अधिकारी के हवाले से कहती है कि यह राशि सभी काम करने वाले बच्चों के लिए नही है।


यह राशि देश के 250 जिलों में चल रहे 9,000 राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना विद्यालयों के लिए आबंटित किए गए हैं। इन विद्यालयों में 9 वर्ष से 14 वर्ष तक के 4.5 लाख बच्चे मौजूद हैं।


इसके अलावा अन्य 1.2 करोड़ बच्चों के लिए मंत्रालय पिछले तीन वर्षों से फंड का इंतजार कर रही है। इसी संदर्भ में बाल श्रम विद्यालय के विकास की अनुशंसा भी प्रस्तावित है।


हालांकि 11 वीं योजना में ये मुद्दे ठंडे बस्ते में चली गई है। मंत्रालय उन बच्चों के लिए एक आवासीय विद्यालय भी प्रस्तावित करने की योजना बना रही है,जो बाल श्रम का दंश झेल चुके हैं।


 लेकिन यह प्रस्ताव कब कार्यान्वित होगा, कहना मुश्किल है।


बजट में इन बच्चों की पुनर्स्थापना का मुद्दा तो वंचित रहा ही, साथ ही वे 9000 बाल श्रम विद्यालय भी तिरस्कृत रहे हैं।


जो राशि आबंटित की गई है, उसके हिसाब से इन बाल श्रम विद्यालयों के प्रत्येक बच्चों को 3,466 रुपये प्रतिवर्ष मिलेगा।


दूसरे शब्दों में कहें तो इन विद्यालयों में रहने वाले बच्चों को प्रतिदिन 9 से 10 रुपये मिलेगा, जो 10 रुपये प्रतिमाह की तुलना में जरुर बेहतर है।


.
.

First Published - March 13, 2008 | 7:02 PM IST

संबंधित पोस्ट