देश की विकास दर की रफ्तार को बढ़ाने के मकसद से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों की उच्च स्तरीय कमिटी की बैठक मंगलवार देर शाम बुलाई गई।
इसमें निर्यातकों को सस्ते और आसान ऋण मुहैया कराने, कम लागत वाले मकान निर्माण और आधारभूत क्षेत्रों के लिए 50,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त फंड की व्यवस्था करने पर विचार किया गया। इस कवायद का मकसद विकास दर को पटरी पर लाना है।
सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस बैठक में वित्त सचिव अरुण रामानाथन ने मंत्रियों को अपने सुझाव भी सौंपे। इस प्रस्ताव में आधारभूत क्षेत्रों के लिए 50,000 करोड़ रुपये के फंड की व्यवस्था करना भी शामिल है। इस फंड का संचालन आईआईएफसीएल की ओर से करने की बात कही गई।
हवाई अड्डा, सड़क, बिजली और अन्य आधारभूत परियोजनाएं फंड की किल्लत के चलते अधर में न लटक जाएं, इसलिए इस तरह के फंड की व्यवस्था को जरूरी बताया गया।
इसके साथ ही श्रम आधारित क्षेत्रों- कपड़ा, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, हस्तशिल्प आदि के निर्यातकों को सस्ते और आसान ऋण मुहैया कराने पर भी विचार किया गया।
मौजूदा पोस्ट शिपमेंट क्रेडिट को 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने पर भी चर्चा की गई। इस कदम से इस क्षेत्र से जुड़े निर्यातकों को राहत मिलेगी, साथ ही वे चीन, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों के निर्यातकों से मुकाबला कर सकेंगे।
सरकार को यह कदम उठाना इसलिए भी जरूरी लग रहा है, क्योंकि सात साल में पहली बार निर्यात आंकड़ों में गिरावट आई है। हालांकि यह गिरावट डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी की वजह से आई है, लेकिन इसका कारण यूरोपीय देशों और अमेरिका में मांग घटना भी है।
इसके साथ ही सरकार को यह प्रस्ताव भी दिया गया कि सस्ता आवास ऋण उपलब्ध कराने पर जोर देना चाहिए। इससे कंस्ट्रक्शन में काम आने वाले कच्चे माल की भी खपत बढ़ेगी, जिससे अन्य क्षेत्रों का भी विकास होगा।