महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार मक्के और ईंधन जैसे कुछ वस्तुओं पर टैक्स घटाने पर विचार कर सकती है। इस मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बढ़ती खुदरा महंगाई पर काबू पाने में मदद करने के लिए टैक्स घटाने की सिफारिश की है, जिस पर विचार चल रहा है।
बहरहाल एक सूत्र ने कहा कि फरवरी के महंगाई के आंकड़े जारी होने के बाद ही इस पर कोई फैसला होगा। इस सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में भारत में महंगाई दर बढ़कर 6.52 प्रतिशत हो गई है, जो दिसंबर में 5.72 प्रतिशत थी।
इस मसले पर विचार कर रहे केंद्रीय बैंक और सरकार से जुड़े एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, ‘खाद्य महंगाई बढ़े स्तर पर बनी रह सकती है। दूध, मक्का और सोया तेल की कीमत कम अवधि के हिसाब से महंगाई के लिए चिंता का विषय हैं।’
सूत्र ने कहा, ‘सरकार मक्के जैसे उत्पाद पर आयात शुल्क घटाने पर विचार कर रही है, जिस पर 60 प्रतिशत बुनियादी शुल्क है। वहीं ईंधन पर कर भी एक बार फिर घटाया जा सकता है।’
इस सिलसिले में मांगी गई जानकारी पर वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हाल के महीनों में कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में कमी और स्थिरता आई है, लेकिन कम आयात मूल्य का फायदा कंपनियों ने ग्राहकों को नहीं पहुंचाया है और वे पहले हुए नुकसान की भरपाई कर रही हैं।
भारत तेल की अपनी कुल जरूरतों का दो तिहाई आयात करता है।
केंद्र सरकार अगर कर में कटौती करती है तो पेट्रोल पंप चलाने वाले इसका फायदा खुदरा ग्राहकों को दे सकते हैं और इससे महंगाई घटाने में मदद मिलेगी।
जनवरी में खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक की ऊपरी लक्ष्य सीमा 6 फीसदी से ऊपर थी। अक्टूबर के बाद पहली बार ऐसा हुआ है और यह रॉयटर्स पोल में शामिल 44 विश्लेषकों के 5.9 फीसदी पर रहने के अनुमान से बहुत ज्यादा है।
दूसरे सूत्र ने कहा, ‘हमें उनकी (केंद्रीय बैंक) ओर से कुछ सिफारिशें मिली हैं, जो एक सामान्य गतिविधि है।’
उन्होंने कहा, ‘यह एक तरीका रहा है, जिसके माध्यम से सरकार और रिजर्व बैंक दीर्घ आर्थिक वातावरण को स्थिर करने में तालमेल बिठाते हैं। ईंधन और मक्के पर कर लगता है। फैसला करने के पहले हम संभवतः कम से कम एक महीने और इंतजार करेंगे।’
पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक के मौद्रिक रुख और इस सप्ताह की शुरुआत में आए सीपीआई के आंकड़ों को देखते दरों में एक और बढ़ोतरी की संभावना है।
बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने एक नोट में कहा है, ‘रिजर्व बैंक का फैसला और रुख आंकड़ों से सही साबित हुआ है। यह अनुमान लगाना सही होगा कि अगले 2 महीनों तक महंगाई दर 6 प्रतिशत के ऊपर रहती है तो ऐसे में दरों में और बढ़ोतरी पर विचार हो सकता है।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संभवतः बढ़ोतरी कम रहेगी। उन्होंने कहा है कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा कर घटाने, खासकर ईंधन पर कर घटाने पर विचार करने की गुंजाइश थी।