यह आवश्यक नहीं है कि मुक्त बाजार से प्रतिस्पर्धी माहौल तैयार हो, बल्कि प्रतिस्पर्धा एजेंसियों और नियामक प्राधिकरणों की जिम्मेदारी होती है कि वे ऐसी स्थितियां बनाएं जिससे प्रतिस्पर्धी वातावरण तैयार हो सके। यह कहना है मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन का।
हालांकि नागेश्वरन ने कहा कि नियामकों द्वारा कुछ नियमों के कार्यान्वयन के बावजूद मौजूदा बाजार प्रभुत्व कायम रह सकता है और नियामकीय कार्रवाई कभी-कभी बाजार में नई आने वाली कंपनियों को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। नागेश्वरन प्रतिस्पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
तकनीकी क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि नियामकों ने डेटा और गोपनीयता नियमों को लागू किया है जो उपयोगकर्ताओं को अपने डेटा तक संपूर्ण पहुंच की गारंटी देता है लेकिन उपयोगकर्ता केवल बड़े भागीदारों को ही चुन सकते हैं क्योंकि वे उन पर ज्यादा भरोसा कर सकते हैं।
नागेश्वरन ने कहा, ‘इससे अंतत: समान प्लेटफॉर्म पर कुछ के हाथों में सारे अधिकार केंद्रित हो जाएंगे और प्रतिस्पर्धा को नुकसान होगा, इसलिए प्रतिस्पर्धा एजेंसियों को उनकी कार्रवाई के अनपेक्षित परिणामों के प्रति भी सचेत रहने की जरूरत है। ’
उन्होंने कहा कि अच्छे इरादे से जनता की भलाई को ध्यान में रखते हुए जो किया जाता है, वह वास्तव में मौजूदा वर्चस्व को खत्म कर सकता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार की टिप्पणी नए डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून की पृष्ठभूमि में आई है, जिस पर अंतर-मंत्रालय समिति द्वारा चर्चा की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बड़ी तकनीकी कंपनियां अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग न करें।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह भी कहा कि बैंकिंग, बीमा और प्रतिभूति जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा अवांछनीय हो सकती है क्योंकि इससे इन क्षेत्रों में अस्थिरता पैदा हो सकती है।
बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र उन नियमों के अधीन हैं जो मौजूदा फर्मों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देते हैं ताकि ब्याज दरों को उचित स्तर पर रखा जा सके और प्रमुख संस्थानों का बाजार में वर्चस्व कायम न हो सके।
नागेश्वरन ने कहा कि नियामक अक्सर बाजार में हस्तक्षेप करने में हिचकिचाहट दिखाते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह महज कीमतों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने या एकाधिकार को खत्म करने के बारे में नहीं है बल्कि प्रतिस्पर्धा एजेंसियों और नियामकों को इस पर नजर रखनी चाहिए कि इससे बाजार में प्रणालीगत शुचिता का माहौल बना है या नहीं। ’
उन्होंने नियमक प्राधिकरणों और प्रतिस्पर्धा एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने पर भी जोर दिया। नागेश्वरन ने कहा, ‘नियामकों और प्रतिस्पर्धी एजेंसियों को पारस्परिक रूप से कार्रवाइयों के दायरे पर सहमत होना चाहिए और दोनों में से किसी भी एजेंसी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के खिलाफ काम करने वाले परिणामों से बचने के लिए संतुलन कायम करना चाहिए।’
नागेश्वरन ने कहा कि प्रतिस्पर्धा एजेंसियों को यह याद रखना चाहिए कि वे कंपनियों तथा बाजार के साथ हमेशा प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों साथ तुलना करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि अमेरिका में दूरसंचार, डिजिटल सेवाएं, स्वास्थ्य और फार्मास्युटिकल क्षेत्र सभी में वास्तविक प्रतिस्पर्धा कायम करने में मुक्त बाजार उद्यम की विफलता को प्रदर्शित किया है।