भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन में कहा है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में केंद्र व राज्यों के पूंजीगत व्यय में सुधार आर्थिक बहाली की गति को सतत बनाए रखने में अहम है। रिजर्व बैंक ने ‘सरकार का वित्त 2020-21 : अर्धवार्षिक समीक्षा नाम के एक लेख में कहा है, ‘पूंजीगत व्यय, जो वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में खत्म हो गया था, प्राथमिकता के आधार पर बढ़ाने की जरूरत है। हेल्थकेयर, सोशल हाउसिंग, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण पर सार्वजनिक निवेश वक्त की जरूरत है, जिससे अर्थव्यवस्था को ज्यादा लचीला और समावेशी बनाया जा सके।
रिजर्व बैंक के लेख में दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 21 की पहली दो तिमााही में राज्यों का पूंजीगत व्यय पर ध्यान बहुत कम रहा। उदाहरण के लिए केंद्र सरकार ने बजट अनुमान (बीई) के पूंजीगत व्यय का 21.4 प्रतिशत पहली तिमाही में खर्च किया, जबकि राज्यों ने सिर्फ 7.1 प्रतिशत खर्च किया है। दूसरी तिमाही में केंद्र का व्यय भी सुस्त रहा और उसने बजट में रखे गए सालना पूंजीगत व्यय का 18.8 प्रतिशत खर्च किया। पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में राज्यों का पूंजीगत व्यय सुधरा, लेकिन उसके बावजूद सालाना योजना का सिर्फ 12.7 प्रतिशत व्यय हुआ।
वहीं इसकी तुलना में दूसरी तिमाही में केंद्र के पूंजीगत व्यय में कमी आई है। इस लेख में कहा गया है कि केंद्र द्वारा किया गया पूंजीगत व्यय उस साल विशेष में 2.45 का गुणक रहा है और और उसके अलगे साल 3.14 का गुणक रहा है। इसी तरह राज्यों का पूंजीगत व्यय 2 का गुणक रहा है। लेख में कहा गया है, ‘सरकार के सामान्य पूंजीगत व्यय में राज्यों का हिस्सा करीब 60 प्रतिशत होता है, जो 2 से ऊपर का राजकोषीय गुणक है। यह निवेश बहाली और कुल मिलाकर वृद्धि को पीछे खंींच सकता है।
2020-21 में प्राथमिकता वाले व्यय पर प्रोत्साहन ने अहम भूमिका निभाई है, हालांकि व्यय का स्तर पिछले साल के स्तर पर बना रहा। लेकिन अहम है कि समय के साथ प्रोत्साहन की प्रकृति में भी बदलाव हुआ है। दिसंबर बुलेटिन के एक और लेख में दिखाया गया है कि किस तरह से प्रोत्साहनों के विभिन्न दौर में समर्थन की प्रकृति में बदलाव हुआ है। इससे पता चलता है कि जहां खपत बहाल करना प्रोत्साहन का मुख्य मकसद रहा है, शुरुआती ध्यान नकदी के हस्तांतरण पर रहा है और बात में इसे निवेश बहाली पर केंद्रित किया गया। बहरहाल बुलेटिन में कहा गया है कि व्यय की गुणवत्ता के मुताबिक प्रोत्साहन का असर सीमित है।
वित्त वर्ष 21 में सरकार के व्यय से वृद्धि 159 आधार अंक रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 22 में 158 आधार अंक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। एक आधार अंक प्रतिशत अंक का सौवां हिस्सा होता है।