प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में 46.7 किलोमीटर लंबे परमकुडी-रामनाथपुरम खंड को चार लेन में परिवर्तित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग-87 (NH-87) के एक हिस्से के रूप में विकसित की जाएगी और इसे हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) के तहत 1853 करोड़ रुपये की अनुमानित पूंजी लागत से तैयार किया जाएगा।
मदुरै, परमकुडी, रामनाथपुरम, मण्दपम, रामेश्वरम और धनुष्कोडी जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और आर्थिक स्थलों को जोड़ने वाला यह मार्ग वर्तमान में दो लेन वाला है। इस मार्ग पर प्रतिदिन भारी मात्रा में यातायात दबाव देखा जाता है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों और घनी आबादी वाले हिस्सों में। इसके चलते यात्री सुरक्षा, यात्रा समय और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
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नई परियोजना के तहत परमकुडी से रामनाथपुरम तक NH-87 के खंड को चार लेन में अपग्रेड किया जाएगा। यह अपग्रेडेशन क्षेत्रीय यातायात को बेहतर बनाएगा, जाम की समस्या को कम करेगा, सड़क सुरक्षा को बढ़ाएगा और परमकुडी, सथिरकुडी, अचुंदनवायल और रामनाथपुरम जैसे तेजी से बढ़ते शहरों की गतिशील आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
यह नया सड़क खंड 5 प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों – NH-38, NH-85, NH-36, NH-536 और NH-32 – से जुड़ेगा और साथ ही 3 राज्य राजमार्गों – SH-47, SH-29 और SH-34 – को भी इंटरकनेक्ट करेगा। इस प्रकार यह परियोजना दक्षिण तमिलनाडु के आर्थिक, सामाजिक और लॉजिस्टिक्स केंद्रों को एकीकृत रूप से जोड़ेगी।
साथ ही, यह सड़क खंड 2 प्रमुख रेलवे स्टेशनों (मदुरै और रामेश्वरम), 1 हवाई अड्डे (मदुरै) और 2 छोटे बंदरगाहों (पंबन और रामेश्वरम) से भी जुड़ाव स्थापित करेगा, जिससे मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा और यात्रियों तथा माल की आवाजाही तेज होगी।
Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) प्रवक्ता ने बताया कि परियोजना के पूर्ण होने पर यह खंड न केवल रामेश्वरम और धनुष्कोडी जैसे तीर्थ स्थलों की ओर पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि व्यापार और औद्योगिक विकास के नए रास्ते भी खोलेगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस परियोजना से लगभग 8.4 लाख प्रत्यक्ष रोजगार दिवस और 10.45 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार दिवस सृजित होंगे। यह विकास परियोजना तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्से में सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक समृद्धि के नए द्वार खोलेगी और क्षेत्र को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा से सशक्त रूप से जोड़ेगी। यह परियोजना न केवल एक बुनियादी ढांचे का विस्तार है, बल्कि यह दक्षिण भारत के विकास की रफ्तार को नया आयाम देने वाली पहल साबित होगी।
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