Cabinet Decision: केंद्र सरकार ने देश में रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार को ‘रिसर्च, डेवलपमेंट एंड इनोवेशन (RDI) स्कीम’ को मंजूरी दे दी गई। इस योजना के लिए ₹1 लाख करोड़ का फंड निर्धारित किया गया है।
इनोवेशन को बढ़ावा देने और रिसर्च के व्यावसायीकरण में प्राइवेट सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, RDI स्कीम का उद्देश्य रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन में प्राइवेट सेक्टर के निवेश को बढ़ावा देने के लिए कम या शून्य ब्याज दरों पर लंबी अवधि के साथ लॉन्ग टर्म फंडिंग या रिफाइनेंसिंग उपलब्ध कराना है।
इस योजना को प्राइवेट सेक्टर के फंडिंग में बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मकसद उभरते हुए और रणनीतिक क्षेत्रों को वृद्धि और जोखिम पूंजी उपलब्ध कराकर इनोवेशन को बढ़ावा देना, तकनीक को अपनाने को प्रोत्साहित करना और प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करना है।
-प्राइवेट सेक्टर को उभरते कार्यक्षेत्रों और आर्थिक सुरक्षा, रणनीतिक उद्देश्य और आत्मनिर्भरता के लिए सुसंगत अन्य क्षेत्रों में रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन (RDI) को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।
-टेक्नोलॉजी रेडिनेस लेवल (TRL) के उच्च स्तरों पर रूपांतरकारी परियोजनाओं को फंडिंग करना।
-उन प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण में सहायता करना जो अत्यंत महत्वपूर्ण या रणनीतिक दृष्टि से अहम हों।
-डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना की सुविधा प्रदान करना।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) का गवर्निंग बोर्ड RDI स्कीम को व्यापक रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा। ANRF की कार्यकारी परिषद (EC) योजना के दिशानिर्देशों को मंजूरी देगी और उभरते हुए सेक्टरों में द्वितीय स्तर के फंड मैनेजरों और परियोजनाओं के दायरे और प्रकार की अनुशंसा करेगी।
कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह (EGoS) योजना के निष्पादन की समीक्षा करने के अतिरिक्त योजना में बदलाव, सेक्टरों और परियोजनाओं के प्रकार के साथ-साथ द्वितीय स्तर के फंड मैनेजरों को मंजूरी देने के लिए उत्तरदायी होगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) आरडीआई योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा।
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RDI स्कीम दो-स्तरीय फंडिंग मैकेनिज्म पर आधारित होगी। पहले स्तर पर ANRF के तहत एक स्पेशल पर्पज फंड (SPF) बनाया जाएगा, जो इस योजना के लिए कोष का संरक्षक (custodian) होगा। इसी SPF से दूसरे स्तर के विभिन्न फंड मैनेजर्स को फंड आवंटित किए जाएंगे। यह फंडिंग मुख्य रूप से लंबी अवधि के रियायती ऋण (concessional loans) के रूप में होगी।
दूसरे स्तर के फंड मैनेजर्स द्वारा अनुसंधान और विकास (R&D) परियोजनाओं को दी जाने वाली फंडिंग आमतौर पर कम या शून्य ब्याज दर पर दीर्घकालिक ऋण के रूप में होगी। विशेष रूप से स्टार्टअप्स के मामलों में फंडिंग इक्विटी के रूप में भी की जा सकती है। इसके अलावा डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स (FoF) या किसी अन्य RDI फोकस्ड FoF में योगदान पर भी विचार किया जा सकता है।