भारत में निजी क्षेत्र की गतिविधियां मार्च में बढ़कर आठ माह के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। इसे सामान उत्पादकों की शानदार वृद्धि और जबरदस्त मांग से मदद मिली। इससे कुल बिक्री भी तेजी से बढ़ी। एचएसबीसी फ्लैश इंडिया का मार्च में कंपोजिट पीएमआई (पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) का आउटपुट सूचकांक बढ़कर 61.3 हो गया जबकि यह फरवरी में 60.6 पर था।
कंपनी के गुरुवार को जारी तीसरे परिणामों के अनुसार यह सूचकांक मासिक आधार पर भारत के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का एक साथ मूल्यांकन करता है और यह लगातार 32वें महीने वृद्धि के दायरे में था। इस वृद्धि को विनिर्माण उद्योग से खासतौर से बढ़ावा मिला। बीते साढ़े तीन वर्षों में फैक्टरियों के ऑर्डर और उत्पादन का विस्तार तेजी से हुआ है।
सर्वेक्षण के अनुसार, ‘सेवा प्रदाताओं और विनिर्माताओं की गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ। सेवा क्षेत्र में फरवरी की ही तरह इजाफा हुआ जबकि विनिर्माता क्षेत्र में अक्टूबर 2020 के बाद से सबसे ज्यादा वृद्धि हुई। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले साझेदारों के अनुसार समुचित लाभ व जबरदस्त उपभोक्ता मांग के साथ-साथ तकनीक में निवेश और उत्साहवर्धक मार्केट स्थितियों से बिक्री को इजाफा हुआ। वृद्धि की गति कायम थी और फरवरी में अधिक थी।’
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री बढ़ने से कुल ऑर्डरों में इजाफा हुआ। इसका कारण यह है कि निजी क्षेत्र के नए निर्यात आर्डर सात महीनों के दौरान सर्वाधिक तेजी से बढ़े। विनिर्माण इकाइयों और सेवा क्षेत्र में तेज गति से विस्तार हुआ। सर्वेक्षण के अनुसार,‘ अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका से लाभ बढ़ने की सूचनाएं थीं। भारत की निजी क्षेत्र की कंपनियों के नए कारोबार की क्षमताओं में निरंतर इजाफा हुआ है और इससे इनकी क्षमताओं में भी विस्तार हुआ है।’
एचएसबीसी के भारत के प्रमुख अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी के अनुसार बीते साढ़े तीन वर्ष में सर्वाधिक विनिर्माण होने के कारण मार्च में समग्र आउटपुट सूचकांक तेजी से बढ़ा था। सर्वेक्षण के अनुसार, ‘बीते माह की तुलना में नए ऑर्डर तेज गति से बढ़े थे। घरेलू और निर्यात ऑर्डर में तेजी से मजबूती आई। वस्तुओं की लागत अत्यधिक तेज गति से बढ़ी लेकिन यह उत्पाद के बेची जाने वाली कीमत से अधिक नहीं हुई।’