केंद्र सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर लगातार जोर दे रही है। इसी क्रम को जारी रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के अंतरिम बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर 11.11 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रावधान किया है।
जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से करीब 16.9 फीसदी और वित्त वर्ष 2024 के बजट अनुमान से 11.1 फीसदी अधिक है। चालू वित्त वर्ष में सरकार का 10 लाख करोड़ रुपये के इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर खर्च का अनुमान था जो करीब 50,000 करोड़ रुपये कम रह सकता है।
कोविड के बाद के बजटों में सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर खर्च बढ़ा दिया है। वित्त वर्ष 2025 के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाकर 2.72 लाख करोड़ रुपये करने का प्रावधान किया गया है, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान से महज 2.9 फीसदी अधिक है।
इसी तरह रेलवे मंत्रालय के आवंटन में भी मामूली इजाफा किया गया है। रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय 5 फीसदी बढ़ाकर 2.52 लाख करोड़ रुपये करने का प्रावधान किया गया है। रेलवे के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कुल खर्च 2.65 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है।
कर्ज का बोझ घटाने की केंद्र की रणनीति को ध्यान में रखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और रेलवे अपनी वित्तीय इकाई आईआरएफसी के जरिये वित्त वर्ष 2025 में भी बाह्य उधारी पर ज्यादा निर्भर नहीं रहेगी।
अगले वित्त वर्ष के लिए एनएचएआई का पूंजीगत व्यय आवंटन 1.68 लाख करोड़ रुपये रखा गया है, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान की तुलना में लगभग सपाट है। एनएचएआई ने पिछले साल यह मुद्दा उठाया था कि केंद्र के प्रमुख राजमार्ग कार्यक्रम भारतामाला परियोजना की लागत बढ़ जाने के कारण वह राजमार्ग के ठेके देने की प्रतिबद्धता पूरी नहीं कर पा रहा है।
पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी पर उद्योग की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कई को उम्मीद थी कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बजट में ज्यादा इजाफा किया जाएगा। हिंदुजा समूह के चेयरमैन जीपी हिंदुजा ने कहा कि पूंजीगत खर्च में 11 फीसदी का इजाफा किया गया है जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार होगा लेकिन उम्मीद इससे ज्यादा के आवंटन की थी।