केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि भारत की व्यापार नीति उसके विकास के अनुरूप है और इसमें अभी और अंतरराष्ट्रीयकरण की गुंजाइश है। दिल्ली में आयोजित ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड मंथन’ कार्यक्रम में गोयल ने कहा, ‘हमें अपने विकास के रास्ते पर ध्यान देना होगा और व्यापार नीति को उसी के अनुरूप समायोजित करना होगा।’
गोयल ने कहा, मेरा मानना है कि विकासशील भारत के तौर पर हमें भी लंबा सफर तय करना है जब हम पूरी तरह मुक्त व खुली अर्थव्यवस्था बन जाएंगे, जहां पूंजी खाते की परिवर्तनीयता हो और शून्य या काफी कम आयात शुल्क हो। इसके लिए हमें अपनी कारोबारी नीति की दिशा पर नजर डालनी होगी और उसे दुरुस्त करना होगा।
जरूरी नहीं है कि एक तरह का आकार हर किसी के लिए फिट बैठता हो। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था के अंतरराष्ट्रीयकरण की भी दरकार है, जहां दुनिया के साथ बड़ा जुड़ाव हो और भारतीय निर्यात बढ़े।
मंत्री ने कुछ अर्थशास्त्रियों की उस दलील को खारिज कर दिया कि भारत संरक्षणवादी और उच्च टैरिफ वाला देश है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे विकसित देश ने विकसित देश बनने की अपनी यात्रा में कारोबारी संरक्षण से जुड़े कदमों का इस्तेमाल किया।
मौजूदा वित्त वर्ष में मंत्री भारत का निर्यात स्थिर या थोड़ा सकारात्मक देख रहे हैं, बावजूद इसके कि इजरायल-हमास युद्ध और लाल सागर जैसे अवरोध सामने आए हैं। संचयी आधार पर अप्रैल-फरवरी 2023-24 के दौरान हमारा निर्यात 395 अरब डॉलर का रहा, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 3.5 फीसदी कम है।
उन्होंने कहा, दो युद्धों व लाल सागर संकट के बावजूद वस्तुएं व सेवाएं मिलकर सकारात्मक बनी रहेंगी। हम साल 2030 तक दो लाख करोड़ डॉलर का निर्यात करेंगे और मुझे इस पर कोई संदेह नहीं है।
एफटीए व आरसेप
मुक्त व्यापार समझौते पर उन्होंने कहा कि भारत का यूरोपीय यूनियन, यूनाइटेड किंगडम, पेरू, चिली और खाड़ी सहयोग परिषद के कुछ देशों से बातचीत चल रही है। गोयल ने कहा कि जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान देशों के साथ हुए खराब एफटीए को लेकर भारत दोबारा बातचीत कर रहा है।
उन्होंने कहा, आज आप जापान, दक्षिण कोरिया व आसियान एफटीए को लेकर भारत में उद्योग व कारोबार में काफी ज्यादा आलोचना व नकारात्मक पाएंगे। हमें इस तरह के एफटीए पर दोबारा विचार करना चाहिए।
गोयल ने कहा कि अगर भारत ने चीन समर्थित आरसेप से बाहर निकलने को लेकर कड़े फैसले नहीं लिए होते तो देश में विकास की गाथा नहीं देखने को मिलती और निवेश का माहौल भी, जो आज दिख रहा है। इसके अलावा देश में घटिया गुणवत्ता वाले सामानों की बाढ़ आ जाती।
गोयल के मुताबिक, आरसेप संप्रग सरकार के सबसे ज्यादा गलत फैसलों मे से एक है। हम मूल रूप से आरसेप का हिस्सा नहीं थे। साल 2012 में कांग्रेस सरकार व उनके साझेदार स्वत: ही आरसेप में कूद गए। यह जाने बिना कि हम वैसे देश से सौदा कर रहे हैं जिनकी पारदर्शी आर्थिक नीतियां नहीं है और यह कितना नुकसान पहुंचा सकती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत वैसे व्यापार समूह से जुड़ सकता है जिसका हिस्सा चीन हो, मंत्री ने कहा कि उन्हें जुड़ने में परहेज नहीं है लेकिन चीन को अर्थव्यवस्था खोलनी होगी और उसे पारदर्शी बनाना होगा और विश्व व्यापार संगठन के नियमों से बंधना होगा।
निवेश
वित्त वर्ष 24 के पहले नौ महीने में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 13 फीसदी घटकर 32 अरब डॉलर रहा, इस पर गोयल ने कहा कि बाहरी कारण मसलन वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता व चुनौतियों के अलावा विकसित देशों में बढ़ती ब्याज दर के कारण ऐसा हुआ है।
उन्होंने कहा, लगातार सात साल से भारत में रिकॉर्ड एफडीआई आया है। पिछले दो साल में विकसित देशों में ब्याज दर आसमान पर पहुंच गई। ऐसे में वहां से निवेश आना मुश्किल होने लगा। इस मामले में हमारी हालत इतनी बुरी नहीं है, जितनी अन्य देशों में देखने को मिली है।
गोयल ने बताया कि हाल ही में भारत ने चार देशों आइसलैंड, लिकटनस्टाइन, नॉर्वे और स्विटरजरलैंड के साथ यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) पर हस्ताक्षर किए हैं। इन देशों ने करार के तहत भारतीय बाजार में प्रवेश के बदले यहां 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने के लिए अतिरिक्त 100 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है।
विकसित भारत
गोयल ने कहा, 2047 की हमारी यात्रा के बीज पिछले 10 साल में बो दिए गए हैं और सरकार तेजी से औद्योगीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान दे रही है ताकि पूरे देश के सतत विकास की जरूरतें पूरी हो सके।
पिछले 10 साल में एनडीए सरकार ने भारत की साख दुनिया भर में वापस लौटाई है। गोयल ने कहा, हम न सिर्फ पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं बल्कि हमें लगता है कि तीसरे कार्यकाल में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।
गोयल ने कहा, भारत की एक दशक की महंगाई दर स्वतंत्र भारत में सबसे कम है, जो मुद्रा को स्थिर रखने और ब्याज दरें नीचे लाने के मामले में मजबूत कारक है। उन्होंने कहा, सरकार वृद्धि में मजबूती लाने के लिए नए विचार पर भी ध्यान दे रही है।
मसलन कैसे भारत के स्वर्ण भंडार को रीसाइकल कर राष्ट्र को तेजी से आगे ले जाने में मदद कर सकता है। मंत्री ने कहा कि विकसित भारत का विजन सप्तऋषि सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें समावेशी विकास व वृद्धि आदि शामिल है। उन्होंने कहा, ये सात स्तंभ भारत को साल 2024 व उससे गे विकसित भारत बनाएंगे। आज दुनिया भारत की ओर देख रही है। हमें इस मौके का फायदा उठाना चाहिए। मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है।