facebookmetapixel
₹9,975 तक के टारगेट! नतीजों के बाद Bajaj Auto पर 4 ब्रोकरेज हाउसों की राय सामने आईLenskart IPO Listing: ₹390 पर लिस्ट हुए शेयर, निवेशकों को नहीं मिला लिस्टिंग गेनराशन कार्ड के लिए सरकारी दफ्तर जाने की जरूरत नहीं, बस ये ऐप डाउनलोड करेंQ2 results today: ONGC से लेकर Vodafone Idea और Reliance Power तक, आज इन कंपनियों के आएंगे नतीजेBihar Elections 2025: हर 3 में 1 उम्मीदवार पर है आपराधिक मामला, जानें कितने हैं करोड़पति!₹70 तक का डिविडेंड पाने का आखिरी मौका! 11 नवंबर से 10 कंपनियों के शेयर होंगे एक्स-डिविडेंडGroww IPO Allotment Today: ग्रो आईपीओ अलॉटमेंट आज फाइनल, ऐसे चेक करें ऑनलाइन स्टेटस1 अक्टूबर से लागू Tata Motors डिमर्जर, जानिए कब मिलेंगे नए शेयर और कब शुरू होगी ट्रेडिंगStock Market Update: शेयर बाजार की पॉजिटिव शुरूआत, सेंसेक्स 200 से ज्यादा अंक चढ़ा; निफ्टी 25550 के करीबअगर अमेरिका ने Google-Meta बंद किए तो क्या होगा? Zoho के फाउंडर ने बताया भारत का ‘Plan B’

हीरा कारोबार पर पड़ी काली छाया, दो लाख बेरोजगार

Last Updated- December 05, 2022 | 4:40 PM IST


दूसरे देशों से आयात किए जाने वाले अपरिष्कृत हीरे की तादाद में कमी, मजबूत होता रुपया और तमाम ऐसे ही हालात।


.जिनके चलते गुजरात के पचास हजार करोड़ रुपये वाले हीरे व्यवसाय की चमक फीकी पड़ती जा रही है। हीरा कारोबार से जुड़े जानकारों ने बताया कि महज कुछ महीनों में ही गुजरात और डायमंड सिटी के नाम से मशहूर सूरत में करीब दो लाख हीरा कारीगरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। हजारों की संख्या में कुशल कारीगर पहले से ही कृषि, कपड़ा उद्योग जैसे अन्य पेशों को अपना चुके हैं।


हीरा कारोबार में एक उभरते व्यापारी, जो कि सूरत डायमंड एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष भी हैं, ने बिजनेस स्टैंडर्ड के संवाददाता को बताया कि भारत में सप्र्लाई किए जाने वाले अपरिष्कृत हीरे की तादाद में बहुत कमी आ गई है। हीरा काटने और पॉलिशिंग का काम करने वाली यूनिट में भी कमी आई है। हाल ही में करीब दो लाख हीरा कारीगरों के रोजीरोटी छिन गई है। हालांकि सच्चाई यह भी है कि इस व्यवसाय में अब इतना काम रहा नहीं कि डायमंड यूनिट नए कारीगरों की बहाली कर सकें।


जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन कॉउंसिल (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष संजय कोठारी ने बताया,”फिलहाल हीरा बाजार में मांग नहीं है। इसी के चलते हीरों का उत्पादन भी देश में काफी कम हुआ है। लिहाजा हीरे का कारोबार काफी तेजी से गिरा है। सूरत में करीब 1.5 लाख कारीगरों के पास काम नहीं है। हीरा व्यवसाय के क्षेत्र में काम करने वाले ज्यादातर कारीगर दूसरे व्यवसायों से जुड़ गए हैं।


जीजेईपीसी में गुजरात के क्षेत्रीय संयोजक चंद्रकांत सांघवी ने बताया कि भारतीय हीरा कारोबार मुख्य रूप से दूसरे देशों से आयात किए जाने वाले अपरिकृष्त हीरे पर निर्भर है। लिहाजा, अपरिकृष्त हीरे के आयात में गिरावट आने की वजह से ही लाखों कारीगरों को काम छोड़ना पड़ा है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में अफ्रीका के कुछ देशों ने भी अपने यहां रोजगार मुहैया कराने के लिए डायमंड मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगा दी हैं। लिहाजा अपरिष्कृत हीरे की सप्लाई का बड़ा हिस्सा अफ्रीकी देशों की ओर रुख कर चुका है।


हीरा बाजार की दुर्गति का एक महत्वपूर्ण कारण डॉलर के मुकाबले रुपये का मजबूत होना भी बताया जा रहा है। सूरत शहर अकेला 6 लाख हीरा कारीगरों को नौकरी मुहैया करवाता है जबकि शेष गुजरात सिर्फ 3 लाख कारीगरों को ही नौकरी मुहैया करवा पाता है। प्रवीण नानावती बताते हैं,”शुरुआत में एक कुशल कारीगर पूरे दिन भर में 80 हीरों पर काम करता था। वह कारीगर पॉलिशिंग के साथसाथ हीरे को काटने का भी काम करता था।


लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। अब पूरे दिनभर में ज्यादा से ज्यादा 20 हीरे पर ही काम हो पाता है।हीरा उद्योग के खिलाड़ियों का मानना है कि अगर भविष्य में भी यही स्थिति बनी रही तो इस क्षेत्र के कारोबारियों को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

First Published - March 18, 2008 | 10:14 PM IST

संबंधित पोस्ट