तेल और गैस के खनन व उत्पादन में विदेशी निवेश को लुभाने के लिए ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी नौ) के नौवें दौर की नीलामी नवंबर में हो सकती है। अधिकारियों के मुताबिक हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने ओएएलपी नौ के तहत तेल और गैस के खनन व विकास के लिए 26 ब्लॉकों को चिह्नित किया। इसमें सबसे बड़े क्षेत्र में खनन व विकास के लिए नीलामी होगी। बीते आठ दौरों में खनन व उत्पादन के लिए जितना क्षेत्र दिया गया है, उसके दो गुना 2.2 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र ओएएलपी नौ में दिया जाएगा।
अभी तक सरकार ने खनन व उत्पादन के लिए 134 खनन व उत्पादन ब्लॉकों में 2.07 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र 19 तलछटी बेसिन में दिया है। ओएएलपी नौ के लिए पहली घोषणा अक्टूबर 2022 में हुई थी। इसके तहत 15 क्षेत्र अत्यधिक गहरे पानी, 8 उथले समुद्र और तीन ब्लॉक जमीन पर थे।
अधिकारियों ने इसे मिली जुली प्रतिक्रिया बताया था जो विदेशी रुचि भी हासिल कर सकता है। हालांकि उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक अभी राउंड ओएएलपी आठ के ब्लॉकों को आबंटित किया जाना है।
अभी तक विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी मुश्किल से रही है। ओएएलपी आठ पहली बार 7 जुलाई, 2022 को शुरू हुआ था और यह एक साल तक 5 जुलाई, 2023 तक चला था। इस दौर में 10 ब्लॉकों की पेश की गई थी और इसके लिए निविदाएं दाखिल करने की अंतिम तिथि में चार बार इजाफा हुआ था।
अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि नीलामी में हिस्सा लेने वाले इच्छुक पक्षों ने विस्तार करने का अनुरोध किया था। हालांकि उद्योग के सूत्रों के मुताबिक सरकार अधिक विदेशी दिग्गजों को आकर्षित करना चाहती थी।
सार्वजनिक क्षेत्र के अपस्ट्रीम दिग्गज ओएनजीसी ने नौ ब्लॉकों के लिए निविदा भरी थी। सार्वजनिक क्षेत्र के ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) ने असम शेल्फ के एक ब्लॉक के लिए निविदा दी थी। निजी क्षेत्र की फर्म वेदांता ने कांबे के एक ब्लॉक के लिए निविदा दी थी। कच्छ के एक ब्लॉक के लिए निजी क्षेत्र की कंपनी सन पेट्रोकेमिकल्स ने निविदा भरी थी। इसी तरह भारत की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी ने अपतटीय कृष्णा गोदावरी ब्लॉक के लिए निविदा दी थी।
डीजीएच ओएएलपी नौ के लिए तेजी से कार्य कर रही है। ओएएलपी से भारत में तेल का उत्पादन अगले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। अधिकारी ने बताया, ‘इससे विदेशी कंपनियों को निविदा भरने के लिए अधिक समय मिल सकेगा। पिछले कई दौर की नीलामी में देखने को मिला है कि नीलामी को पूरा अंजाम तक पहुंचने में समय लगता है। लिहाजा इंतजार करने से अच्छा यह है कि इस प्रक्रिया को शीघ्र शुरू किया जाए।’
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक मान्यता प्राप्त व स्वीकृत विवाद समाधान तंत्र के कारण वैश्विक कंपनियां आकर्षित हुई हैं। इस क्रम में वैश्विक कंपनियां एक्सान मोबिल, शेल और बीपी की रुचि बढ़ी है। सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए ऑनशोर गैस ब्लाक के लिए कम रायल्टी अनिवार्य कर दी है।’
भारत में अनुमानित तलछटी वाला क्षेत्र 33.6 लाख वर्ग किलोमीटर है। इनमें 26 तलहटी घाटियां हैं जिसमें 16.3 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र जमीन है। इस क्रम में अन्वेषण के अंर्तगत समद्र तट से 400 मीटर की दूरी तक का 4.1 लाख वर्ग किलोमीटर उथला अपतटीय क्षेत्र और 400 मीटर से अधिक दूरी का 13.2 लाख वर्ग किलोमीटर गहरा समुद्री क्षेत्र है।
डीजीएच के सर्वेक्षण और आबंटित किए गए क्षेत्र के कारण बीते कुछ वर्षों में अभी तक खनन नहीं किए गए क्षेत्र का दायरा महत्त्वपूर्ण रूप से कम हो चुका है। सरकार ने कंपनियों के लिए तेल और गैस के खनन को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
इसका ध्येय वर्ष 2030 तक खनन वाला क्षेत्र 10 लाख वर्ग किलोमीटर के लक्ष्य को हासिल करना और भारत के अपतटीय तलछटी वाली बेसिन में ‘नो गो’ वाला क्षेत्र 99 प्रतिशत के दायरे में लाना है। सरकार ने तेल और खनन को आसान बनाने के लिए ब्लॉकों की पूर्व स्वीकृतियां, आवेदन प्रक्रिया को कम करने के लिए स्व प्रमाणन को मंजूरी और ब्लॉक में संचालन की आजादी दी है।
मांग और आपूर्ति के बीच खाई के कारण सरकार घरेलू उत्पाद को बढ़ाना चाहती है। बीपी एनर्जी के मुताबिक अभी वैश्विक ऊर्जा मांग में भारत की हिस्सेदारी छह प्रतिशत है और यह 2050 तक बढ़कर 12 प्रतिशत हो जाएगी।