भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कुछ बैंकों को डॉलर-रुपया पेयर पर लॉन्ग पोजिशन में कटौती करने के निर्देश दिए हैं। मुद्रा के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के कारण सट्टेबाजी कम करने की कवायद के तहत रिजर्व बैंक ने यह दुर्लभ कदम उठाया है। इस मामले से सीधे जुड़े 4 बैंकरों ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी।
बैंकरों ने कहा कि रिजर्व बैंक के वित्तीय बाजार नियमन विभाग ने अनौपचारिक रूप से बैंकों से यह कहा है। इस मसले पर रिजर्व बैंक ने भेजे गए मेल पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पोर्टफोलियो निवेशकों की धन निकासी और डॉलर मजबूत होने के कारण गुरुवार को रुपया 84.50 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया था।
इसके पहले रिजर्व बैंक ने बैंकों को डॉलर-रुपये पर लॉन्ग पोजिशन लेने रोका था, लेकिन उसने हाल के वर्षों में पोजिशन में कटौती करने को नहीं कहा था। यह रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा कारोबार में हस्तक्षेप का हिस्सा है, जिसमें हाजिर और नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड मॉर्केट्स में डॉलर की बिक्री शामिल है।
बैंकरों ने कहा कि बैंकों द्वारा रुपये को लेकर स्पेकुलेटिव शॉर्ट्स कम करने से हाजिर बाजार में डॉलर की बिक्री को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे रुपये को समर्थन मिलेगा। उन्होंने अपना नाम उजागर करने से मना कर दिया, क्योंकि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
बैंकों को अटकलबाजी वाले दांव कम करने को कहने के साथ रिजर्व बैंक ने उनसे यह भी कहा है कि ऑर्बिटरेज ट्रेड्स निष्पादित करने के लिए हाजिर डॉलर की खरीद से बचें। एक बैंकर ने कहा, ‘बैंकों से कहा गया है कि वे अपने लॉन्ग पोजिशन में कटौती (डॉलर-रुपये की) करें। साथ ही उनसे वायदा और एनडीएफ (नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड) बाजार में आर्बिट्रेज ट्रेडर्स के लिए हाजिर डॉलर खरीदने से बचने के लिए कहा गया है।’