राजस्व सचिव तरुण बजाज ने आज कहा कि हर साल होने वाले विभिन्न बदलावों या छूट की घोषणा से प्रत्यक्ष कर कानून बहुत जटिल हो गए हैं, जिन्हें सरल बनाए जाने की जरूरत है।
बंगाल चैंबर आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (बीसीसीआई) की ओर से आयोजित एक वेबिनॉर में बजाज ने कहा, ‘प्रत्यक्ष कर संहिता बहुत जटिल हो गई है। तमाम छूट और तमाम प्रावधान आए हैं। ऐसे में मेरा मानना है कि हर साल होने वाले बदलावों को देखते हुए इस पर पूरी तरह से पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है। यह कानून आम लोगों के लिए ही नहीं, कर विशेषज्ञों के लिए समझना भी बहुत जटिल हो गया है।’
सरकार स्थिर और पहले से अनुमानित कर का दौर चाहती थी, ऐसे में केंद्रीय बजट में बहुत मामूली बदलाव किया गया। बजाज ने कहा, ‘केवल एक या दो छूटों से नए कॉर्पोरेट कर के दौर में कुछ स्थिरता आई है। कॉर्पोरेट सेक्टर ने नए ढांचे को स्वीकार किया है।’ 2019-20 के लिए विश्लेषण और 2020-21 आकलन वर्ष के आधार पर पता चलता है कि कॉर्पोरेट की 65 प्रतिशत कमाई नए 22 प्रतिशत कर ढांचे में आ गई है। शेष 35 प्रतिशत पुराने कर ढांचे मेंं है क्योंकि उनकी कारोबार से आमदनी कम है।
बजाज ने कहा कि हालांकि छूट के लिए सनसेट प्रावधान हैं और इस सनसेट के साथ और कॉर्पोरेट नए कर के ढांचे में आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट के लिए कर की दरों में कमी के साथ कर राजस्व बढ़ा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सितंबर 2019 में घोषणा की थी कि जो कंपनियां कोई छूट या प्रोत्साहन नहीं लेती हैं, उन पर कॉर्पोरेट कर 30 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत लगेगा।
व्यक्तिगत आयकर को लेकर बजाज ने कहा कि नया व्यक्तिगत आयकर ढांचा बेहतर तरीके से तैयार नहीं किया गया है। करीब 8-9 लाख रुपये सालाना आमदनी होने पर कोई वजह नहीं बनती कि नया कर ढांचा लागू न हो, क्योंकि पुराने ढांचे में छूट मिलती है और व्यक्ति की कोई कर देनदारी नहीं है। बहरहाल अगर कोई व्यक्ति नया कर ढांचा अपनाता है तो उसे कर का भुगतान करना होगा।
बजाज ने कहा, ‘यह काम प्रगति पर है। हमें और आंकड़ों का विश्लेषण करना होगा और मुझे लगता है कि अगर हम इसे सही तरीके से तय कर देते हैं तो यह सही दिशा में होगा।’ बजाज ने कहा कि दूसरी बात यह है कि बहुत कम लोग आयकर का भुगतान करते हैं।
