भारत की अर्थव्यवस्था पिछले पांच सालों से औसतन 8.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त कर रही है, लेकिन असंगठित निर्माण क्षेत्र इस दृष्टि से थोड़ा पिछड़ रहा है। इस क्षेत्र में 3 करोड़ 60 लाख लोग काम करते हैं।
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन(एनएसएसओ) के 2005-06 के ताजा 62 वें राउंड के अध्ययन के मुताबिक 2000-01 के 56 वें राउंड के सर्वे की तुलना में इस क्षेत्र की सकल मूल्य वर्द्धन(जीवीए)में मात्र 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गुणवत्ता में वृद्धि के मामले में इस क्षेत्र में 51 वें राउंड(1994-95) के अध्ययन की तुलना में 56 वें राउंड में 86 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
भारतीय सूक्ष्म, छोटे और मझोले उपक्रम महासंघ के महानिदेशक अनिल भारद्वाज ने कहा कि 1995-96 से छोटे उद्योगों के लिए बैंक से मिल रहे कर्ज में कमी हो रही है।
अनुसूचित बैंक इस छोटे उद्योगों की तुलना में हाउसिंग क्षेत्रों में कर्ज देना ज्यादा बेहतर समझते हैं, क्योंकि ये क्षेत्र से छोटे उद्योगों की तुलना में ज्यादा आकर्षक होते हैं।
कृषि और शिक्षा क्षेत्र की तरह छोटे उद्योग और हाउसिंग क्षेत्र भी प्राथमिक क्षेत्रों में शुमार हैं। इस लिहाज से इन बैंकों को इन प्राथमिक क्षेत्रों के लिए 40 प्रतिशत कर्ज प्रदान करना आवश्यक होता है।
असंगठित निर्माण क्षेत्र छोटे उद्योग क्षेत्र (एसएसआई)का ही एक हिस्सा है और बैंकों का इन क्षेत्रों को कर्ज देने में उतरोत्तर कमी दर्ज की जा रही है।
1994-95 में जहां इस क्षेत्र को 13.8 प्रतिशत कर्ज दिया जाता था,वही 2000-01 में यह घटकर 10.8 प्रतिशत रह गया। 2005-06 में तो यह घटकर मात्र 7 प्रतिशत रह गया।
ये सारे आंकड़े रिजर्व ने जारी किए हैं। भारद्वाज ने बताया कि यही वजह है कि इन क्षेत्रों की विकास दर धीमी हो गई है।
एनएसएसओ के अध्ययन के मुताबिक 51 वें राउंड से 56 वें राउंड तक इन क्षेत्रों में कारोबारी परिवारों का हिस्सा स्थिर था, लेकिन 62 वें राउंड में इनकी हिस्सेदारी तेजी से घटी।
वैसी इकाइयां जिसमें कामगारों की संख्या 6 से कम है, वे 1994 के तीन सर्वे में समान स्तर पर रहे। जबकि 56 वें राउंड से 62 वें राउंड के सर्वे में 6 से अधिक कामगारों वाले इकाइयों की हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है।
62 वें राउंड के सर्वे के अध्ययन में सारे इस प्रकार के उपक्रमों का कुल जीवीए 1,24,034 रुपये रहा।
तंबाकू क्षेत्र में काम कर रहे कामगारों का जीवीए सबसे कम 6,818 रुपये रहा, जबकि धातु बनाने वाले कामगारों का जीवीए सबसे अधिक 1,03,511 रुपये रहा।
राज्यों में सबसे कम जीवीए उड़ीसा का 9,638 रुपये था। सबसे अधिक जीवीए अरुणाचल प्रदेश का 1,21,799 रुपये रहा।