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नोटबंदी के प्रभाव का आकलन

Last Updated- January 02, 2023 | 10:44 PM IST
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PTI

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को यह फैसला दिया कि नोटबंदी अतार्किक नहीं थी। यह ‘आनुपातिकता के परीक्षण’ पर खरी उतरती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने 8 नवंबर, 2016 की आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करार देने के सरकार के फैसले के प्रभाव का विश्लेषण किया।

  • साल 2017-18 और 2021-22 के बीच डिजिटल भुगतान हर साल औसतन 66 फीसदी बढ़ा।
  • नकद का इस्तेमाल बढ़ा है। यह औसत 14 फीसदी है जबकि 2011 से 2016 के दौरान औसत बढ़ोतरी 12.2 फीसदी थी।
  • नोटबंदी नहीं होने की स्थिति में नकदी का प्रवाह वर्तमान स्तर से 10 फीसदी अधिक होता।
  • नकदी प्रवाह जीडीपी या सभी सामान और सेवाओं के मूल्य के अनुपात में अधिक हुआ। अप्रैल, 2016 की तुलना में अप्रैल, 2022 में नकदी प्रवाह अधिक था।
  • बीते छह सालों के दौरान उच्च मूल्य के नोटों की हिस्सेदारी बढ़ी : मार्च, 2016 में कुल मात्रा में 500 और 1,000 रुपये मूल्य के नोटों की हिस्सेदारी 24.4 फीसदी थी जबकि मार्च, 2022 में 500 और 2,000 रुपये की हिस्सेदारी 36.5 फीसदी थी।
  • नकदी के प्रवाह में उच्च मूल्य के नोटों की हिस्सेदारी बढ़ी। मार्च, 2022 में कुल नकदी प्रवाह में उच्च मूल्य के नोटों की हिस्सेदारी 87.1 फीसदी थी। मार्च, 2016 में यह 86.4 फीसदी थी।
  • 2011-12 से 2015-16 के दौरान डिजिटल भुगतान में 44 फीसदी की औसत बढ़ोतरी हुई।

First Published - January 2, 2023 | 10:43 PM IST

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