एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने एशिया के विकासशील देशों की विकास रफ्तार के बारे में कहा है कि इस साल यह 7.5 फीसदी की दर से अपनी विस्तार करना जारी रखेंगीं पर पश्चिमी देशों में आए वित्तीय भूचाल इनके विकास को प्रभावित कर सकता है।
एशियाई विकास बैंक (एडीबी)ने कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति, वित्तीय बाजार में उथल-पुथल और वैश्विक मांग में कमजोरी के कारण विकासशील एशिया की विकास दर घटकर 7. 5 फीसदी रह जाएगी जो साल 2007 में नौ फीसदी थी।
मनीला स्थित ऋणदाता की रपट में कहा गया कि मुद्रास्फीति बढ़कर 7. 8 फीसदी हो जाएगी जो पिछले साल 4. 3 फीसदी थी। इससे इस क्षेत्र पर और असर होगा जहां खाद्य पदार्थों और र्इंधन की कीमतें पारिवारिक खर्च का 60 फीसदी है। अगले साल मुद्रास्फीति छह फीसदी हो सकती है।
एशिया में बने उत्पादों को भारी मात्रा में खरीदने वाले यूरोप और अमेरिका में गिरावट से स्थिति और गंभीर होगी। पहले ही ऐसे संकेत मिल रहे थे कि निर्यात कम हो रहा है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री अफजल अली ने कहा, ”अनकपलिंग विकसित देशों में हो रही गिरावट का असर न होना मिथक है। ” उन्होंने कहा, ”यह क्षेत्र अभी भी अपने विकास के लिए औद्योगिक देशों पर निर्भर है।
यदि वैश्विक मंदी 2009 से आगे बढ़ती है तो इस क्षेत्र पर बहुत भयानक असर हो सकता है।’ बैंक के प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ इफजल अली ने हांगकांग में पत्रकारों को यह बताया कि एशियाई बाजारों के प्रति अप्रैल में हमने जो अनुमान लगाए थे उनके मुकाबले अब जोखिम कहीं ज्यादा है।
सबसे बड़ा जोखिम अमेरिकी वित्तीय संकट का है जो जी3 देशों, एशियाई निर्यात और वित्तीय बाजार को हानि पहुंचाएगा। अली ने यह भी कहा कि इस वक्त नतीजतन एशियाई देशों के लिए दरकार इस बात की है कि वो विकास के बजाए महंगाई से निपटने पर ध्यान केंद्रित करें।
मालूम हो कि मनीला स्थित बैंक ने एशियाई देशों की विकास रफ्तार का अनुमान लीमन ब्रदर्स के दिवालिया होने और मेरिल लिंच के बिकने से पहले की गई थी। इसमें विकास रफ्तार को 7.6 फीसदी अनुमानित किया गया था जो अब के अनुमान 7.5 फीसदी से थोड़ा ज्यादा था।