अमेरिका ने भारतीय विनिर्माताओं को चेताया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि रक्षा उपकरण जैसी वस्तुओं का निर्यात रूस को न किया जाए क्योंकि इससे उसकी मिसाइल प्रणालियों को मदद मिल सकती है जिससे इन कंपनियों पर पश्चिमी प्रतिबंध लगने की आशंका बढ़ जाएगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अमेरिकी सरकार के अधिकारी उद्योग जगत के साथ मशविरे और बैठकों का आयोजन करते हैं ताकि उन्हें इस बात को लेकर आगाह किया जा सके कि वे खास किस्म के उत्पाद मसलन रसायन, विमानन कलपुर्जे आदि निर्यात न करें क्योंकि इनका इस्तेमाल मिसाइल प्रणालियों, रक्षा उपकरणों में किया जा सकता है।’
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि रूस को निर्यात किए गए उत्पादों का दोहरा इस्तेमाल संभव है लेकिन वे स्पेशल केमिकल्स, ऑर्गनिज्म, मटीरियल, इक्विपमेंट एंड टेक्नॉलजीज (एससीओएमईटी) सूची का हिस्सा नहीं हैं जिसमें दोहरे इस्तेमाल वाली वस्तुएं, युद्ध सामग्री, परमाणु संबंधी उत्पादों, सॉफ्टवेयर और टेक्नॉलजी का निर्यात शामिल है। ऐसी वस्तुओं का निर्यात या तो प्रतिबंधित है या उसके लिए लाइसेंस जरूरी है।
यह सब तक हुआ है जब बढ़ते भूराजनीतिक तनाव के बीच रूस को अलग-थलग करने के अमेरकी प्रयासों को दरकिनार करने के लिए अमेरिका ने कुछ भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए। दो साल पहले रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ने के बाद पश्चिमी देशों ने 2022 के आरंभ में ही रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि भारत निरपेक्ष बना रहा और उसने पश्चिम और रूस के साथ अपने हितों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखा।
भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ा है, खासकर बीते दो-ढाई सालों में। परंतु इसमें रूस से होने वाले तेल के आयात में इजाफे का अधिक योगदान रहा। परंतु निर्यात वृद्धि धीमी रहने के कारण रूस के साथ हमारा व्यापार घाटा बढ़ता रहा।
वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में रूस को हमारा निर्यात सालाना आधार पर 35 फीसदी बढ़कर 4.26 अरब डॉलर हो गया। रूस को इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात भी 85 फीसदी बढ़कर 1.35 अरब डॉलर हो गया। जबकि इस दौरान समग्र वस्तु निर्यात वृद्धि केवल दो फीसदी रही।
राॅयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी वित्त विभाग के अधिकारियों ने गत माह भारत के बैंकों को चेतावनी दी थी कि वे ऐसे वित्तीय संस्थान जो रूस के सैन्य औद्योगिक ठिकानों के साथ कारोबार करते हैं उनकी अमेरिकी वित्तीय तंत्र तक पहुंच समाप्त कर दी जाएगी।
रायटर्स ने एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘कोई भी विदेशी वित्तीय संस्थान जो रूस के सैन्य औद्योगिक ठिकाने के साथ कारोबार करता हे, उस पर प्रतिबंध का जोखिम है। वह अमेरिकी वित्तीय तंत्र तथा अन्य वित्तीय तंत्रों तक पहुंच गंवा सकता है।’ इस संबंध में भारतीय बैंकों और औद्योगिक संगठनों को पत्र भेजा गया था।